क्या है अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड, निवेश से पहले जान लें इसके बारे में
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स म्यूचु्अल फंड के फिक्स्ड इनकम स्कीम हैं. इनके जरिये निवेशकों का पैसा डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटी में लगाया जाता है.
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म्यूचुअल फंड स्कीम के तहत बेहद कम अवधि वाली स्कीम में भी निवेश किया जा सकता है. ऐसे निवेशकों के लिए सबसे मुफीद स्कीम है अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड. अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स म्यूचु्अल फंड के फिक्स्ड इनकम स्कीम हैं. इनके जरिये निवेशकों का पैसा डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटी में लगाया जाता है. ये ऐसे सिक्योरिटीज होते हैं जिनकी अवधि तीन से छह महीने की होती है. कम अवधि के निवेश के लिए ये बढ़िया विकल्प हैं.
कम अवधि के निवेश की वजह से जोखिम कम
कम अवधि के निवेश की वजह से इनमें उतार-चढ़ाव का जोखिम कम रहता है. इनमें उन निवेशकों को निवेश करना चाहिए जो कम जोखिम लेना चाहते हैं. ऐसे निवेशकों के लिए यह मुफीद है, जो लंबी अवधि वाले फंड की तुलना में अधिक स्थिर आय का लक्ष्य लेकर चलते हैं. हालांकि यहां यह जान लेना जरूरी है कि लिक्वि़ड फंड और अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड अलग-अलग हैं. कई बार निवेशक दोनों को लेकर भ्रमित रहते हैं.
लिक्विड फंड्स डेट या मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जो 91 दिनों में मेच्योर हो जाते हैं. जबकि अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड्स की अवधि तीन से छह महीने की होती है. अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड आमतौर पर लिक्विड फंडों की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैं. हालांकि, इन फंडों का पीरियड रोजाना और साप्ताहिक आधार पर लिक्विड फंडों की तुलना में थोड़ा ज्यादा उतार-चढ़ाव वाला हो सकता है. इसलिए अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड में निवेश की सलाह दी जाती है.
तीन महीने से लेकर एक साल तक के लिए सबसे अच्छा विकल्प
ऐसे निवेशक, जिनका निवेश लक्ष्य तीन महीने से एक साल के बीच का होता है, वे अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड में निवेश कर सकते हैं. हालांकि यह ध्यान रखना जरूरी है कि ऐसे टर्म पूरी तरह जोखिम से रहित नहीं है. हां इनमें जोखिम थोड़ा कम हो जाता है. क्योंकि ये फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. बहुत से निवेशक, जिनके पास सरप्लस फंड्स हैं, जिनकी उन्हें अगले तीन से बारह महीनों में जरूरत नहीं होती है, वे इनमें में पैसा लगा सकते हैं.
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