What is Credit Score: कैसे कैलकुलेट होता है क्रेडिट स्कोर? जान लेंगे ये बातें तो कभी नहीं अटकेगा कोई लोन
Credit Score Calculation: क्रेडिट स्कोर आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. क्रेडिट कार्ड हो या कोई लोन, लिमिट से लेकर ब्याज दरों तक पर क्रेडिट स्कोर का बड़ा असर होता है...
अगर आपने कभी लोन (Loan) या क्रेडिट कार्ड (Credit Card) लिया होगा, तो आपको भी क्रेडिट स्कोर (Credit Score) के बारे में पता चला होगा. आप कोई भी लोन लेने जाएं या क्रेडिट कार्ड, इस स्कोर की बड़ी जरूरत होती है. इसे सिबिल स्कोर के नाम से भी जाना जाता है. अच्छा क्रेडिट स्कोर लोन के मामले में लेवरेज देता है. पर्सनल लोन हो या क्रेडिट कार्ड या होम लोन, हर जगह बैंक या फाइनेंस कंपनी सिबिल या क्रेडिट स्कोर वैरिफाइ करती है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्रेडिट स्कोर क्या होता है और इसे कैलकुलेट कैसे किया जाता है...
इस तरह तैयार होता है स्कोर
ट्रांसयूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL) जैसे क्रेडिट ब्यूरो लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़े आपके लेनदेन का ब्योरा बैंक समेत दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से इकट्ठा करते हैं. इस जानकारी के आधार पर क्रेडिट रिपोर्ट और सिबिल स्कोर तैयार किया जाता है. लोन के लिए अप्लाई करने पर बैंक क्रेडिट ब्यूरो से आपकी क्रेडिट रिपोर्ट और स्कोर मांगते हैं. इसके जरिए बैंक असेसमेंट करता है कि आप लोन चुका सकते हैं या नहीं. आसान शब्दों में कहें तो इससे बैंक को आपकी वित्तीय साख का पता चलता है.
क्रेडिट स्कोर को ऐसे समझें
क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. आपका क्रेडिट स्कोर 900 के जितना करीब होगा, लोन अप्रूवल के चांस उतने ज्यादा होंगे. आमतौर पर 750 से ऊपर का क्रेडिट स्कोर अच्छा माना जाता है. 550 से 750 के बीच का स्कोर ठीक यानी एवरेज माना जाता है, जबकि 550 से नीचे का स्कोर खराब यानी लो क्रेडिट स्कोर माना जाता है. क्रेडिट स्कोर खराब होने पर बैंक लोन देने से मना कर सकते हैं या ज्यादा इंटरेस्ट रेट चार्ज कर सकते हैं. क्रेडिट स्कोर के अलावा और भी कई फैक्टर हैं, जो लोन के मामले में काम करते हैं.
इन फैक्टर्स का होता है असर
सिबिल स्कोर का कैलकुलेशन कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जैसे आपकी रीपेमेंट हिस्ट्री कैसी है? यानी आप टाइम पर EMI या क्रेडिट कार्ड का पेमेंट करते हैं या नहीं. दूसरा है क्रेडिट यूटिलाइजेशन. क्रेडिट यूटिलाइजेशन का मतलब है कि क्रेडिट कार्ड की जो लिमिट है, उसका आप कितना इस्तेमाल करते हैं. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल जितना ज्यादा करें,गे क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो (CUR) उतना अधिक होगा. यह क्रेडिट हंगरी बिहेवियर और खर्च पर आपका कंट्रोल नहीं है, ये दिखाता है. क्रेडिट यूटिलाइजेशन बहुत ज्यादा होने का असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है. लोन लेने के लिए बहुत ज्यादा इन्क्वायरी या आवेदन करते हैं तो भी सिबिल स्कोर पर असर पड़ेगा.
ऐसे सुधारें खराब क्रेडिट स्कोर
अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री मेंटेंन करके आप सिबिल स्कोर सुधार सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ स्टेप फॉलो करने होंगे. लोन की EMI या क्रेडिट कार्ड का पेमेंट समय पर करें. देरी से पेमेंट का निगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है. क्रेडिट लिमिट का इस्तेमाल सावधानी से करें. क्रेडिट यूटिलाइजेशन को क्रेडिट लिमिट के 30 फीसदी से कम रखें. बार-बार या एक ही समय पर कई लोन के लिए आवेदन करने से बचें. बहुत जरूरी होने पर ही आवेदन करें.
इन बातों का भी जरूर रखें ध्यान
होम लोन और ऑटो लोन जैसे सिक्योर्ड लोन और पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड जैसे अनसिक्योर्ड लोन के बीच मिक्स यानी तालमेल बनाकर रखें. ज्यादा अनसिक्योर्ड लोन होना निगेटिव माना जाता है. किसी लोन अकाउंट में अगर आप गांरटर, Co-Borrower या ज्वाइंट अकाउंट होल्डर हैं तो उस पर नजर रखें. अगर आपका साथी कोई पेमेंट मिस करता है तो आप भी बराबर के जिम्मेदार हैं. उसकी लापरवाही आपके कर्ज लेने की क्षमता पर असर डाल सकती है.
इस बात से नहीं पड़ता है कोई असर
सिबिल स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट को समय-समय पर चेक करें. बार-बार सिबिल स्कोर चेक करने से आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, अगर बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन आपकी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते हैं तो इसे 'हार्ड एन्क्वायरी' माना जाता है. ज्यादा हार्ड इन्क्वायरी होने से क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ सकता है.
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