Fixed Maturity Plans: क्या है फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान, जिसके पीछे इस साल भाग रही है म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री?
Mutual Fund FMPs: इस साल बाजार में एफएमपी की धूम मची हुई है. म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री जनवरी से अब तक 44 फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान लॉन्च कर चुकी है. आइए जानते हैं इनके बारे में...
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इस साल म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान यानी एफएमपी की धूम मची हुई है. इंडस्ट्री जनवरी से अब तक 44 एफएमपी लॉन्च कर चुकी है. कई बड़े फंड हाउस अगस्त-सितंबर महीने में एफएमपी लेकर आ रहे हैं. आइए जानते हैं कि फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान क्या है और क्यों म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री इनके पीछे भाग रही है...
क्या है फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ये एक तय अवधि की स्कीम होती हैं. ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम की पहले से एक तय अवधि होती है. ये स्कीम आम तौर पर फिक्स्ड टेन्योर वाले डेट इंस्ट्रूमेंट में पैसे निवेश करती हैं. इनका टेन्योर कुछ महीनों का भी हो सकता है और कई साल का भी. इनकी खास बात होती है कि इनमें रिस्क कम होता है, क्योंकि ये डेट में निवेश करती हैं, जबकि साथ-साथ अच्छे रिटर्न की भी उम्मीद रहती है. ऐसे में ये स्कीम उन निवेशकों के लिए पसंदीदा बन जाती हैं, जिनके पास जोखिम उठाने की क्षमता कम होती है.
एफडी और एफएमपी में कितना अंतर?
इसे ऐसे बेहतर समझ सकते हैं कि ये भी एक तरह की एफडी हैं. बस अंतर है कि यहां आपका फिक्स्ड पैसा बैंकों के पास जमा नहीं होता है, बल्कि फंड हाउस के माध्यम से आपको डेट इंस्ट्रूमेंट का सीधा एक्सपोजर मिलता है. फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान को यह बात और खास बना देती है कि इनके ऊपर ब्याज दरों में होने वाली घट-बढ़ का कोई असर नहीं होता है. बैंक एफडी रेपो रेट से प्रभावित होते हैं.
कतार में हैं इनके फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान
आने वाले दिनों में कोटक म्यूचुअल फंड, आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड, एसबीआई म्यूचुअल फंड, मिराए एसेट म्यूचुअल फंड और निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड जैसे बड़े फंड हाउस अपना-अपना फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान लॉन्च करने वाले हैं. इससे पहले बीते 7 महीने के दौरान विभिन्न म्यूचुअल फंड हाउस 44 फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान बाजार में उतार चुके हैं.
क्यों एफमपी के पीछे भाग रही इंडस्ट्री?
अब सवाल उठता है कि आखिर म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री इस तरह के प्लान के पीछे क्यों भाग रही है? दरअसल इसके लिए बाजार की बदलती परिस्थितियां जिम्मेदार हैं. रेपो रेट में बढ़ोतरी का क्रम बंद हो चुका है. रिजर्व बैंक ने महंगाई बढ़ने के बाद भी अगस्त में हुई एमपीसी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया. ऐसा अनुमान है कि अब रेपो रेट में और बढ़ोतरी शायद ही हो.
बैंक एफडी का बेहतर विकल्प?
पिछले साल मई के बाद रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की. इससे बैंकों ने भी एफडी पर ब्याज बढ़ाना शुरू कर दिया. अब जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी का दौर बीत चुका है, एफडी पर भी असर होने लग गया है. कुछ बैंकों ने तो एफडी दरों को कम करना शुरू भी कर दिया है. मतलब कि आने वाले दिनों में बैंक एफडी का ब्याज कम होता चला जाएगा, ऐसे में कम जोखिम पसंद करने वाले निवेशकों को विकल्प की तलाश होगी और वहीं से फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान का गेम शुरू हो जाता है.
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