Form-16: नौकरी करने वालों के लिए रामबाण! इस फॉर्म के बिना नहीं फाइल होगा आईटीआर
What is Form-16 in ITR?: विभिन्न कंपनियों या दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों को हर साल 15 जून तक एम्पलॉयर की ओर से फॉर्म-16 मिल जाता है, जो रिटर्न भरने में मददगार साबित होता है...
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इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का सीजन जोरों पर है. अब तक 13 लाख से ज्यादा इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए जा चुके हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उनमें से 8.17 लाख आईटीआर को प्रोसेस भी कर चुका है. आईटीआर फाइलिंग के हर सीजन की तरह इस बार भी टैक्सपेयर्स के बीच फॉर्म-16 की चर्चा हो रही है. आइए जानते हैं यह क्या है और इससे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में किस तरह से मदद मिलती है...
15 जून तक मिल जाता है फॉर्म-16
फॉर्म-16 इनकम टैक्स के उन टैक्सपेयर्स के लिए है, जो नौकरी कर रहे हैं यानी किसी कंपनी में कर्मचारी हैं. जिस कंपनी में आप काम करते हैं, वो कंपनी आपको फॉर्म-16 देती है. आम तौर पर हर साल 15 जून तक सभी एम्प्लॉई को फॉर्म-16 मिल जाता है. इस बार अभी तक कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को फॉर्म-16 दे चुकी हैं, जबकि कई कंपनियों के कर्मचारी रिटर्न भरने के लिए फॉर्म-16 मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
फॉर्म-16 में मिलती हैं ये जानकारियां
फॉर्म-16 में कंपनी के द्वारा किसी कर्मचारी को दी गई सैलरी, उसकी ओर से क्लेम किए गए एग्जेम्पशन और डिडक्शन आदि का जिक्र होता है. कंपनी यानी एम्प्लॉयर की ओर से सैलरी से टीडीएस कटौती यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स की जानकारी भी इस फॉर्म में होती है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 203 के तहत हर कंपनी के लिए कर्मचारियों को फॉर्म-16 जारी करना अनिवार्य है.
फॉर्म-16 में होते हैं दो हिस्से
फॉर्म-16 के दो हिस्से होते हैं. इसके पहले हिस्से यानी पार्ट-ए में एम्प्लॉयर और एम्प्लॉई का नाम, पता और पैन के साथ इम्प्लॉयर का टैन नंबर दिया होता है. सैलरी और उस पर काटे गए टीडीएस की डिटेल भी इसी हिस्से में रहती है. पार्ट-बी में सैलरी, एग्जम्प्शन, डिडक्शंस और टैक्स की कम्प्लीट डिटेल होती है... इसमें ग्रॉस सैलरी, सेक्शन 10 के तहत एग्जम्पट अलाउंस जैसे एचआरए, सेक्शन 16 के तहत डिडक्शन जैसे स्टैंडर्ड डिडक्शन, चैप्टर 6-ए के तहत आने वाले डिडक्शन जैसे 80सी और 80डी और टैक्स का विवरण शामिल होता है.
इस तरह फॉर्म-16 मददगार
टैक्सपेयर्स को सुझाव दिया जाता है कि जब वे अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें तो डिपार्टमेंट की ओर से मिलने वाले प्री-फिल्ड डेटा का फॉर्म-16 के डेटा के साथ अच्छे से मिलान कर लें. ऐसा करने से आईटीआर में गड़बड़ी की गुंजाइश कम हो जाती है और भविष्य में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस मिलने की आशंका नगण्य रह जाती है.
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