(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
4-day Work Week: सप्ताह में चार दिन काम और तीन दिन आराम, इस देश का भी अब जुड़ गया नाम
What is Four Day Work-Week?: दुनिया के कई हिस्सों में 4-डे वर्क वीक की मांग तेज हुई है. ऐसा कहा जाता है कि इससे कर्मचारियों का आउटपुट बढ़ जाता है...
नौकरी करने वाले लोग आम तौर पर सप्ताह में 5-6 दिन ऑफिस जाते हैं. भारत में ज्यादातर जगहों पर यही व्यवस्था है. बैंकों में एक सप्ताह में दो दिन छुट्टी होती है तो दूसरे सप्ताह में दो दिन. अभी बैंक कर्मचारी हर सप्ताह दो-दो दिन छुट्टी की मांग कर रहे हैं. दूसरी ओर कई देश नए प्रयोग पर काम कर रहे हैं, जिसने पूरी दुनिया में वर्क कल्चर की नई बहस छेड़ दी है.
ठीक रहे नतीजे तो स्थाई व्यवस्था
वर्क कल्चर की यह नई बहस सप्ताह में चार दिन काम करने के बारे में है. कई देश इस पर काम कर रहे हैं कि लोगों को सप्ताह में चार ही दिन काम करना पड़े और बाकी के 3 दिन लोग आराम करें. इस नई बहस में अब ताजा नाम जुड़ा है स्कॉटलैंड का, जिसने 4-डे वर्क वीक का प्रयोग शुरू किया है. अगर इस प्रयोग के ठीक परिणाम आए तो नई व्यवस्था को स्थाई बनाने पर विचार किया जाएगा.
स्कॉटलैंड सरकार की ये है योजना
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्कॉटलैंड ने इस नई व्यवस्था के परीक्षण में चुनिंदा सिविल सर्वेंट्स को सप्ताह में चार दिन ही काम करने की छूट दी है. इस प्रयोग में विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों को शामिल करने की योजना है. स्कॉटलैंड की सरकार ये देखना चाहती है कि वर्कवीक छोटा करने से कर्मचारियों पर काम का लोड किस तरह कम होता है और वर्क कल्चर में किस तरह का फर्क आता है.
तेज हुई है 4-डे वर्क वीक की बहस
स्कॉटलैंड की सरकार ने इस प्रायोगिक शुरुआत के बारे में 2023-24 के प्रोग्राम फोर गवर्नमेंट में विस्तार से बताया है. सरकार ने इसे काम के घंटे घटाने के बाद होने वाले संभावित फायदों के बारे में जानने के लिए शुरू किया है. कई स्टडी में ऐसा दावा किया जाता रहा है कि काम के दिन और घंटे कम करने से कर्मचारियों का आउटपुट बढ़ जाता है. यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में 4-डे वर्क वीक की बहस तेज हुई है.
पिछले साल ब्रिटेन ने किया ट्रायल
स्कॉटलैंड से पहले ब्रिटेन ने पिछले साल जुलाई में इस तरह का ट्रायल शुरू किया था. ब्रिटेन का ट्रायल 4-डे वर्क वीक का अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा ट्रायल था. उसमें 6 महीने तक करीब 61 ऑर्गेनाइजेशन के कर्मचारियों को सप्ताह में चार दिन काम और तीन दिन आराम की व्यवस्था में शामिल किया गया. ट्रायल समाप्त होने के बाद कर्मचारियों को पुरानी व्यवस्था में लौटने या 4-डे वर्क वीक को बरकरार रखने में से चुनने का विकल्प दिया गया. ट्रायल में शामिल करीब 3000 कर्मचारियों में से ज्यादातर ने 4-डे वर्क वीक को ही चुना था.
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