Hybrid Fund: जब एक साथ कई लोग खाना खाने जाते हैं. तो चाहे ऑफिस या कॉलेज की कैंटीन में खाएं या किसी रेस्टोरेन्ट में, लोग अक्सर कॉम्बो मील लेना ही पसंद करते हैं. इससे उन्हें खाना जल्दी फाइनल करने में भी आसानी होती है और क्या खाएं, ये कन्फ्यूजन भी दूर हो जाता है. इसी तरह हाइब्रिड फंड है. यह भी दो तरह के इनवेस्टमेंट फंड का कॉम्बो है. इससे लोग एक साथ दो तरह के फंड में इनवेस्ट करते हैं.


हाइब्रिड फंड में स्कीम


हाइब्रिड फंड में इनवेस्टर दो तरह की स्कीम में एक साथ फंड्स डालता है. जिनमें इक्विटी फंड, डेट फंड, लिक्विड फंड, गोल्ड फंड जैसी स्कीम शामिल होती हैं. ऐसे ही कोई दो तरह के फंड एक साथ लेकर हाइब्रिड फंड में इनवेस्ट किया जाता है.


इक्विटी ज्यादा, डेट कम


इस प्रकार के हाइब्रिड फंड में इक्विटी का प्रतिशत डेट के मुकाबले ज्यादा होता है. यह इनवेस्टर  पर निर्भर करता है कि वह किस फंड में ज्यादा इनवेस्ट करना चाहता है.


डेट ज्यादा, इक्विटी कम


इस तरह के हाइब्रिड फंड में डेट फंड का प्रतिशत ज्यादा और इक्विटी फंड का कम होता है. ऐसे ही दो तरह के फंड में एक साथ इनवेस्ट करने को हाइब्रिड फंड कहेंगे.  


बैलेंस्ड फंड 


हाइब्रिड फंड को ही बैलेंस्ड फंड भी कहा जाता है. इसमें इनवेस्टर दो या दो से अधिक स्कीम में इनवेस्ट करके उन फंड्स से लाभ कमाता है.


हाइब्रिड फंड के फायदे


हाइब्रिड फंड की खासियत ये है कि फंड का पैसा इक्विटी के साथ डेट एसेट में भी लगाया जाता है. अलग-अलग क्लास में निवेश के कारण इसमें निवेश से डाइवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है. कई बार फंड का पैसा सोना में भी लगाया जाता है. मान लीजिए अगर इक्विटी में लगा पैसा कम होता है या बाजार के माहौल के मुताबिक बिगड़ता है तो डेट और सोने में लगे पैसे के जरिए फंड बैलेंस हो जाता है. 


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