इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय आपको सैलरी और हाउस प्रॉपर्टीज के अलावा अन्य स्त्रोतों से हुई आय की जानकारी देनी होती है. इनमें बैंक में सेविंग अकाउंट, एफडी और डिविडेंड जैसे आय के अन्य स्त्रोत शामिल हैं. आईटीआर-1 ऑनलाइन फॉर्म में पांच ड्रॉप डाउन मेन्यू हैं. ये हैं- सेविंग्‍स अकाउंट से इंटरेस्ट, डिपोजिट (बैंक/पोस्‍ट ऑफिस/को-ऑपरेटिव सोसाइटी) से इंटरेस्ट, इनकम टैक्स रिफंड से इंटरेस्ट,फैमिली पेंशन किसी दूसरे स्त्रोत से आय.


सेविंग्‍स अकाउंट से इंटरेस्ट


इस मेन्यू के तहत वर्ष के दौरान अपने अपने सभी सेविंग्‍स अकाउंट और पोस्‍ट ऑफिस सेविंग्‍स अकाउंट से प्राप्त ब्याज की पूरी राशि दर्ज करानी होती है. इसकी जानकारी आपको बैंक और पोस्ट ऑफिस अकाउंट की पासबुक में सेविंग्‍स अकाउंट में दर्ज एंट्री में मिल जाएगी. इंटरेस्‍ट सर्टिफिकेट बैंक या पोस्‍ट ऑफिस से ले सकते हैं. नेट बैंकिंग फेसिलिटी के जरिये भी इंटरेस्‍ट सर्टिफिकेट डाउनलोड किया जा सकता है.


डिपोजिट से इंटरेस्ट


इसमें आपको (बैंक/पोस्‍ट ऑफिस/को-ऑपरेटिव सोसाइटी) में किए गए डिपोजिट पर मिले ब्याज की राशि दर्ज करानी होगी. आप ड्रॉप डाउन मेन्यू में दूसरे नंबर का ऑपशन चुन कर यह राशि दर्ज कर सकते हैं. से दूसरा ऑप्‍शन चुनना होगा. अगर आपके ब्याज भुगतान से टीडीएस कटा है कि बैंक, पोस्ट ऑफिस को फॉर्म 16-ए देता है. यह वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान दिए गए ब्याज और टैक्‍स का ब्योरा मुहैया कराता है.


इनकम टैक्‍स रिफंड से ब्‍याज


इनकम टैक्‍स एक्‍ट के अनुसार टैक्स रिफंड पर ब्याज नहीं लगता लेकिन इस पर हासिल इंटरेस्ट पर टैक्स लगता है. इनकम टैक्‍स रिफंड पर ब्याज का भुगतान डिपार्टमेंट करता है. ऐसा तब किया जाता है जब रिफंड की राशि भुगतान किए गए टैक्‍स का 10 फीसदी से अधिक हो. आप फॉर्म 26एएस में ब्‍याज की रकम चेक कर सकते हैं. यह रिफंड की राशि और उस पर मिलने वाले ब्याज को अलग-अलग दिखाता है.


फैमिली पेंशन


सरकारी कर्मचारी की मौत हो जाने के बाद उसके आश्रितों को मिलने वाली पेंशन 'अन्य स्रोतों से इनकम' के तहत टैक्‍स के दायरे में आती है. अगर आपको फैमिली पेंशन मिली है, तो सेक्‍शन 57 के तहत स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन प्राप्त पेंशन की एक-तिहाई या 15,000 रुपये, जो भी हो, के बराबर है. कोई अन्‍य ऊपर बताई गईं इनकम के अलावा अगर आपको कोई अन्य आय प्राप्त हुई है जो आपके हाथों में टैक्‍सेबल है तो आपको उससे से संबंधित ब्योरा देना होगा.


ऐसी कोई भी आय 'अन्य स्रोतों से आय' के तहत टैक्‍स देनदारी के तहत आती है. अन्य आय में कंपनी की एफडी, सॉवरेन गोल्ड बॉन्‍ड आदि से ब्याज आय शामिल है. आपको मिले गिफ्ट पर भी टैक्स लग सकता है. यह उस गिफ्ट की कीमत पर निर्भर है. शादी के तहत मिले गिफ्ट पर टैक्स में पूरी तरह छूट है.


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