नई दिल्ली: मोरेटोरियम अवधि के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज न लेने का मामला आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में है. पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि दो करोड़ रुपए तक का कर्ज लेने वाले लोगों को रियायत देने का फैसला लिया गया है. बकाया 6 महीने की EMI पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लगाया जाएगा.


इस पर जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने मामले की सुनवाई शुरू होते ही अलग-अलग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने सरकार के हलफनामे को नाकाफी बताया. सुनवाई में कोर्ट ने रिजर्व बैंक से पूछा था कि उसने उद्योग जगत को राहत देने के लिए क्या योजना बनाई है.


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ऊपर आपने जो पढ़ा वो खालिस खबर है, यह खबर सीधे सीधे उन लोगों को समझ आ सकती है जिन्हें अर्थव्यवस्था, कानून और उसके तकनीकी शब्दों की जानकारी है. लेकिन आम इंसान के लिए इसे समझना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन पिछले कुछ समय में लोन मोरेटोरियम यह शब्द इतनी बार सुना जा चुका है कि हर किसी के मन में एक ना एक बार सवाल तो आया ही होगा कि आखिर यह है क्या ? आखिर क्यों देश के सबसे बड़ी अदालत इस मुद्दे को इतनी तवज्जो दे रही है. हम आपने मन में उठ रहे सभी सवालों के जवाब देंगे.


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तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या है लोन मोरेटोरियम?
मोरेटोरियम का मतलब होता है आप अगर किसी चीज का भुगतान कर रहे हैं तो उसे एक निश्चित समय के लिए रोक दिया जाएगा. मान लीजिए अगर आपने कोई लोन लिया है तो उसकी ईएमआई को कुछ महीनों के लिए रोक सकते हैं. हां लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आपकी ईएमआई माफ कर दी गयी है.


यह बात हम सबको पता है कि कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है. लॉकडाउन में लाखों नौकरियां गईं, लोगों की सैलरी में कटौती की गई. इसी को देखते हुए 22 मई को आरबीआई ने मॉनेटरी पॉलिसी के एलान के दौरान कहा था कि लोन मोरेटोरियम को तीन महीने के लिए बढ़ाया जा रहा है. इसका एलान पहले तीन महीने के लिए किया गया था.


कैसे काम करता है मोरेटोरियम, इसका फायदा क्या है?
जैसा कि हमने आपको बताया मोरेटोरियम में आपकी ईएमआई कुछ समय के लिए रोकी जा सकती है. लेकिन यहां पर एक बात ध्यान रखने वाली है कि आपकी ईएमआई पर लगने वाले ब्याज में कोई छूट नहीं होगी. मान लीजिए कि आप मोरेटोरियम के तहत तीन महीने बाद ईएमआई देते हैं तब भी आपको पिछले तीन महीने का ब्याज देना होगा.


आप आप पूछेंगे कि इसका फायदा क्या हुआ ? तो इसका जवाब है कि सामान्य तौर पर अगर आप ईएमआई नहीं भर पाते तो उस पर ब्याज तो लगता है कि साथ ही आपकी क्रेडिट रेटिंग भी खराब हो जाती है लेकिन मोरेटोरियम के दौरान ईएमआई ना देने पर क्रेडिट रेटिंग पर कोई असर नहीं पड़ता. आपकी क्रेडिट रेटिंग नीचे नहीं जाएगी.


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लोन मोरेटोरियम का सबसे ज्यादा फायदा किसे?
लोन मोरेटोरियम का सबसे ज्यादा फायदा उद्योग धंधों के लिए है. लॉकडाउन के दौरान बिजनेस ना चलने से लोन भरना भी मुश्किल हो गया. इसलिए माना गया कि अगर ईएमआई भरने से राहत मिलेगी और उसके बाद अनलॉक में जैसे जैसे बिजनेस बढ़ेगा, तब कंपनियां अपना लोन चुका सकती हैं.


लोन मोरेटोरियम कौन-कौन अप्लाई कर सकता है?
लोन मोरेटोरियम के लिए कंपनियों के साथ-साथ कोई भी व्यक्ति अपने किसी भी लोन के लिए मोरेटोरियम करवा सकता है. फिर चाहे तो वो होम लोन हो, कार लोन या फिर क्रेडिट कार्ड का बिल हो. बात दें कि मोरेटोरियम के शुरुआती तीन महीनों में कुछ बैंक में 30% लोगों ने इस सुविधा का फायदा उठाया. वहीं कुछ छोटे बैंक में 70% तक लोन मोरेटोरियम में चला गया.


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मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा ?
मार्च से अगस्त तक मोरेटोरियम योजना यानी किश्त टालने के लिए मिली छूट का लाभ बड़ी संख्या में लोगों ने लिया था. उनकी शिकायत थी कि अब बैंक बकाया राशि पर अतिरिक्त ब्याज यानी ब्याज के ऊपर ब्याज लगा रहे हैं. यहीं से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बाबत सवाल पूछा था कि स्थगित ईएमआई पर ब्याज के ऊपर ब्याज क्यों लिया जा रहा है. इसके जवाब में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है 2 करोड़ रुपए तक के कर्ज के लिए बकाया किश्तों के लिए ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा.


सरकार ने जिस श्रेणी के कर्ज के लिए ब्याज के ऊपर ब्याज न लगाने का प्रस्ताव दिया है, वो है- 2 करोड़ रुपए तक के लघु और मध्यम दर्जे के व्यापार के लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन, उपभोक्ता सामग्री के लिए लोन, क्रेडिट कार्ड बकाया, कार-टू व्हीलर लोन और पर्सनल लोन.


सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए यह माना था कि बैंकों को मूलधन और ब्याज वसूलने का अधिकार है. लेकिन स्थगित ईएमआई के लिए ब्याज के ऊपर ब्याज लगाना सही नहीं है.


लोन मोरेटोरियम पर सरकार के 6000 से 7000 करोड़ खर्च होंगे
2 करोड़ रुपए तक के लोन की ईएमआई पर ब्याज के ऊपर लगने ब्याज को माफ करने का खर्च सरकार के ऊपर आएगा. इस पर सरकार को करीब 6000 से 7000 करोड़ रुपये खर्च किए. सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया था कि इस खर्च की वजह से कोरोना के खिलाफ जंग भी प्रभावित हो सकती है.


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