Multi Asset Fund: नाम के या काम के भी... वाकई में मल्टी एसेट है आपका म्यूचुअल फंड?, ऐसे करें पता
Multi Asset Mutual Fund: बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति मे मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए मददगार साबित होते हैं, क्योंकि डायवर्स पोर्टफोलियो उन्हें बेहतर बना देता है...
मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड हालिया समय में फिर से निवेशकों के पसंदीदा बनने लगे हैं. यह अकारण भी नहीं है. दरअसल अभी का आर्थिक माहौल ठीक नहीं लग रहा है. मुद्रास्फीति बढ़ रही है, ब्याज दरें ऊंची हैं और मंदी का डर भी बना हुआ है. ऐसे समय में, मल्टी एसेट फंड को स्थिर रिटर्न के लिए एक सुरक्षित दांव माना जाता है. आइए सबसे पहले तो ये जान लेते हैं कि मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड होते क्या हैं...
इन्हें कह सकते हैं सही मल्टी एसेट फंड
मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड वे होते हैं, जो अपनी पूंजी को इक्विटी, डेट और कमोडिटी जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं. नियम के हिसाब से फंड मैनेजर को इनमें से सभी एसेट क्लास में अपने फंड का कम से कम 10 फीसदी निवेश करना होगा. लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह वास्तव में इसे एक सच्चा मल्टी एसेट फंड बनाता है? उदाहरण के लिए, जब शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति चल रही हो तो इक्विटी में 80 फीसदी और डेट तथा कमोडिटी में केवल 10 फीसदी का निवेश, फंड के प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. एक सच्चा मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड वह है, जो सभी एसेट में निवेश करता है और निवेश करने का तरीका पहले से निर्धारित है.
ऐसे एलोकेशन होना जरूरी
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के विशेषज्ञ बताते हैं कि एसेट एलोकेशन का तरीका पहले से तय होने से सही डायवर्सिफिकेशन सुनिश्चित होता है और इसलिए एसेट क्लास का अनुपात मार्केट की परिस्थितियों के अनुसार नहीं बदलना चाहिए. निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड का उदाहरण लें. यह एक ऐसा मल्टी एसेट फंड है जो चार एसेट क्लासों में निश्चित अनुपात में निवेश करता है. यह भारत की इक्विटी ( ग्रोथ ) में 50 फीसदी, डेट (रिलेटिव स्टबिलिटी) में 15 फीसदी, कमोडिटीज में 15 फीसदी (इक्विटी के साथ कम जुड़ाव) और शेष 20 फीसदी विदेशी इक्विटी (ग्लोबल ग्रोथ की संभावनाओं) में निवेश करता है.
रिटर्न का तुलनात्मक उदाहरण
50:20:15:15 के एलोकेशन का यह फार्मूला (मार्केट की परिस्थितियां चाहे जैसी हो) इसे वास्तव में मल्टी एसेट फंड बनाता है. कोटक, यूटीआई और टाटा जैसे लगभग सभी अन्य मल्टी एसेट फंड अपने कॉर्पस को तीनों एसेट क्लास, इक्विटी, डेट और कमोडिटी में निवेश करते हैं. पिछले एक साल में एसबीआई, टाटा और एचडीएफसी के मल्टी एसेट फंड ने 18.53 फीसदी, 18.18 फीसदी और 16.23 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड ने 18.54 फीसदी का रिटर्न दिया है.
इस तरह की सलाह देते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट फाइनेंशियल प्लानर निवेशकों को सलाह देते हैं कि उनके पोर्टफोलियो को एसेट क्लासेस में विविधता लाने की आवश्यकता है, ताकि उतार-चढ़ाव के समय में भी न केवल उनका निवेश सुरक्षित रहे, बल्कि उन्हें अच्छा रिटर्न भी मिले. इसके साथ ही मल्टी एसेट फंड चुनते समय, उन्हें ऐसे फंड में निवेश करना चाहिए जो वाकई में मल्टी एसेट फंड के मूल तत्वों का पालन करते हों.
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