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Mutual Fund Nomination: क्या है म्यूचुअल फंड नॉमिनेशन और इसके फायदे? नॉमिनी नहीं ऐड करने के ये नुकसान

What is Mutual Fund Nomination: अगर आप भी म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करते हैं तो आपको भी नॉमिनी को जरूर ऐड करना चाहिए, वर्ना आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है...

(कश्मीरा कलवचवाला)

शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने वाले लोगों के बीच म्यूचुअल फंड तेजी से लोकप्रिय हुआ है. आज के समय में लाखों लोग विभिन्न म्यूचुअल फंडों में निवेश कर शेयर बाजार की तेजी का फायदा उठाते हैं. अगर आप भी म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते हैं तो आपको नॉमिनेशन के बारे में जरूर जानना चाहिए. म्यूचुअल फंड के निवेशकों को नॉमिनी ऐड करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसके कई फायदे हैं. वहीं नॉमिनी ऐड नहीं करने की स्थिति में इन्वेस्टर को बिना वजह के नुकसान का शिकार होना पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि म्यूचुअल फंड नॉमिनेशन क्या है, इसके क्या फायदे हैं, इसकी प्रक्रिया क्या है और नॉमिनेशन नहीं करने पर क्या नुकसान हो सकते हैं...

नॉमिनेशन क्या है?

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि नॉमिनेशन क्या है? नॉमिनेशन एक सरल प्रक्रिया है, जिसमें म्यूचुअल फंड हाऊस को निर्देश दिया जाता है कि किसी म्यूचुअल फंड फोलियो में एकल यूनिट होल्डर या सभी यूनिट होल्डर्स की मृत्यु हो जाने पर क्लेमेंट (या क्लेमेंट्स) कौन होगा? म्यूचुअल फंड के लिए ज्यादा से ज्यादा 3 नॉमिनी रखे जा सकते हैं. नॉमिनी के नाम, यूनिटहोल्डर के साथ उनका रिश्ता और निवेश में हर नॉमिनी के हिस्से का पर्सेंटेज, ये सभी जानकारियां देनी होती हैं. अगर नॉमिनी को बदलना है तो उसकी प्रक्रिया भी बहुत आसान होती है.

नॉमिनेशन के फायदे

नॉमिनेशन एक बहुत ही आसान और सस्ता तरीका है, जिससे एकल यूनिट धारक या सभी यूनिट धारकों की मृत्यु होने पर, क्लेमेंट (नॉमिनी) म्यूचुअल फंड फोलियो के पैसों का दावा कर सकते हैं. जब नॉमिनी के पक्ष में ट्रांसमिशन करना होता है तब यह प्रक्रिया आसान और तेज हो जाती है. फोलियो में अगर नॉमिनेशन रजिस्टर किया गया है, तो कानूनी दस्तावेजों की आवश्यकता कम हो जाती है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ट्रांसमिशन प्रक्रिया के दौरान यूनिट्स के सुचारू हस्तांतरण के लिए नॉमिनी के सही डिटेल्स देना जरूरी है. डिटेल्स में कोई गड़बड़ी होने पर ट्रांसमिशन का काम जटिल हो सकता है और उसमें ज्यादा समय लग सकता है.

नॉमिनेशन न करने के नुकसान

अगर यूनिट धारक की मृत्यु हो जाती है, तो उनका निवेश उनके नॉमिनी को हस्तांतरित किया जा सकता है. अगर नॉमिनेशन नहीं किया गया है, तो परिवार या कानूनी उत्तराधिकारियों को कई दस्तावेज जमा करने होते हैं, जो निवेश राशि के मूल्य पर आधारित होता है. निवेश की रकम का दावा करने के लिए वसीयत की प्रोबेट या उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ सकती है, जिसमें आपको काफी समय लग सकता है. अगर नॉमिनेशन किया गया है तो मृतक के यूनिट्स के हस्तांतरण को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच असहमति भी नहीं हो सकती है.

नॉमिनेशन के नियम

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जून 2022 में एक सर्कुलर जारी किया, जिसके अनुसार म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए एक लाभार्थी को नॉमिनेट करना जरूरी है. नॉमिनी के डिटेल्स सबमिट नहीं करने की स्थिति में म्यूचुअल फंड हाउस को ऑप्ट-आउट इंस्ट्रक्शंस देने होते हैं. सेबी के ताजे सर्कुलर के अनुसार, म्यूचुअल फंड निवेश के लिए नॉमिनी को जोड़ने या नो-नॉमिनेशन फॉर्म जमा करने की डेडलाइन 30 सितंबर 2023 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2023 कर दी गई है. यूनिट होल्डर अगर डेडलाइन तक या तो नॉमिनी को जोड़ें या ऑप्ट-आउट का विकल्प चुनें. अगर दोनों में से कुछ भी नहीं चुनते हैं तो उनके म्यूचुअल फंड फोलियो को फ्रीज कर दिया जाएगा और उस फोलियो में किसी भी तरह का लेनदेन नहीं हो पाएगा.


Mutual Fund Nomination: क्या है म्यूचुअल फंड नॉमिनेशन और इसके फायदे? नॉमिनी नहीं ऐड करने के ये नुकसान

(लेखिका टाटा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के इन्वेस्टर सर्विसेस की हेड हैं. आर्टिकल में प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं. ABP.Live की उनसे कोई सहमति नहीं है.)

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