बैंकों के पास लिक्विडिटी की अधिकता है. इस वजह से उन्होंने एफडी पर ब्याज दरें काफी कम कर दी है. कहीं-कहीं ये ब्याज दरें सामान्य डिपोजिट दरों तक पहुंच चुकी हैं. लिहाजा निवेशक, बैंक एफडी से पैसा निकाल कर पर्पेचुअल बॉन्ड में लगा रहे हैं. बैंकों के इन बॉन्ड्स पर एफडी डेढ़ से दो फीसदी ज्यादा रिटर्न मिल रहा है.दरअसल पर्पेचुअल बॉन्ड ऐसे बॉन्ड होते हैं, जिनकी मैच्योरिटी की कोई तारीख नहीं होती है. हालांकि इसमें थोड़ा जोखिम भी होता है लेकिन इसे बायबैक भी किया जा सकता है. अमूमन बॉन्ड इश्यू करने के पांच साल के बाद बायबैक का विकल्प इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाती है.


शेयर बाजार में खरीद सकते हैं पर्पेचुअल बॉन्ड


पर्पेचुअल बॉन्ड शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं. निवेशक शेयर बाजार में इन बॉन्ड्स की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. दरअसल जिन कंपनियों या बैंकों को लंबी अवधि के लिए पैसे की जरूरत होती हैं वे ऐसे बॉन्ड जारी करते हैं. हालांकि निवेशकों को लिक्वडिटी, ब्याज दरों और क्रेडिट रेटिंग का ध्यान रखना चाहिए. कई बार बड़ी कंपनियां या बैंक डिफॉल्ट कर जाते हैं और निवेशकों का पैसा डूब जाता है. पिछले दिनों यस बैंक अपने पर्पेचुअल बॉन्ड खरीदारों को पैसा नहीं दे पाया था. इसके बाद पर्पेचुअल बॉन्ड में निवेशकों का रुझान घट गया था. लेकिन अब एक बार फिर निवेशकों का रुझान इस ओर देखा जा रहा है.


बड़े निवेशकों के लिए मौका लेकिन जोखिम भी मौजूद


हालांकि छोटे निवेशकों को इससे दूरी बनाए रखनी चाहिए. अमीर निवेशकों के लिए यह इसलिए फायदे का सौदा है क्योंकि डेढ़ से दो फीसदी से ज्यादा का रिटर्न भी उनके लिए काफी बड़ी राशि हो जाती है. वैसे बड़े निवेशकों को एक्सपर्ट्स की सलाह यह है कि पर्पेचुअल बॉन्ड से उन्हें अच्छा मुनाफा हो सकता है. यस बैंक की ओर से निवेशकों का पैसा न लौटा पाना अपवाद हो सकता है. ज्यादातर बैंकों और कंपनियों के साथ यह स्थिति नहीं आ सकती है. कई बैंकों ने कहा है कि वह जल्द ही पर्पेचुअल बॉन्ड से पैसा जुटा सकते हैं. ऐसे में उन निवेशकों के पास अच्छा रिटर्न कमाने का मौका होगा, जो इनमें निवेश करेंगे.


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