Sweep Account: आपने इस फीचर के बारे में सुना, जो नॉर्मल सेविंग अकाउंट पर भी दिलाता है एफडी का फायदा?
What is Sweep In FD: बैंक सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट पर ज्यादा रिटर्न नहीं देते हैं, जबकि एफडी पर उनकी तुलना में ज्यादा ब्याज का फायदा मिलता है. ऐसे में यह फीचर बड़े कमाल का है...
लगभग हर व्यक्ति बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करता ही है, खासकर कामकाजी लोगों की तो इस पर भारी निर्भरता है. अमूमन लोग बैंकों में सेविंग या करंट अकाउंट खुलवाते हैं. इससे लोगों को नुकसान उठाना पड़ जाता है, क्योंकि बैंक सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट पर ज्यादा रिटर्न नहीं देते हैं. वहीं अगर बैंक में उसी पैसे को एफडी करा दें तो तुलनात्मक ज्यादा ब्याज का फायदा मिलता है. सेविंग व करंट अकाउंट और एफडी के बीच के इस गैप को पाटने वाला एक जबरदस्त फीचर है, जिसके बारे में आपको यहां विस्तार से हम बताने वाले हैं.
किस लिए फायदेमंद है स्वीप इन?
सबसे पहले तो हम सेविंग व करंट अकाउंट और एफडी के बारे में कुछ बेसिक बातें जान लेते हैं. सेविंग व करंट अकाउंट का सबसे बड़ा फायदा है कि आप उसमें कभी भी जितना मन करे उतने पैसे डाल सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उसी हिसाब से निकाल सकते हैं. इस मामले में एफडी तकलीफदेह है, क्योंकि इसमें एक बार पैसे पार्क कर देने पर वह कुछ समय के लिए बंध जाता है. दूसरी ओर रिटर्न के हिसाब से एफडी का वजन सेविंग व करंट अकाउंट से ज्यादा हो जाता है.
दूर होता है सेविंग-करंट और एफडी का गैप
स्वीप इन फीचर मुख्य तौर पर इन दोनों गैप को पाटने का काम करता है. यह फीचर आपको जरूरत के हिसाब से पैसे डालने और निकालने की सुविधा देता है, और साथ ही आपको एफडी वाला ब्याज भी दिलाना सुनिश्चित करता है. आइए जानते हैं कि स्वीप इन फीचर कैसे काम करता है? स्वीप इन एफडी के क्या फायदे हैं और इसके नुकसान क्या-क्या हैं?
किन लोगों के लिए है यह फीचर?
एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए कि आप नौकरी भी करते हैं और बिजनेस या कमाई का कोई और जरिया भी है. आपके रोजमर्रा के खर्चे आपकी सैलरी से निकल जाते हैं. आपकी सैलरी आती है सेविंग या करंट अकाउंट में. वहीं दूसरे सोर्स से जो पैसा आता है, वह आपके लिए एक्स्ट्रा है, लेकिन वह फिक्स नहीं है. कभी उधर से 10 हजार भी आ जाता है, तो कभी 50 हजार भी. आने का कोई समय या अंतराल भी फिक्स नहीं है. ऐसे में आप दूसरे सोर्स से आ रहे एक्सट्रा पैसों को भी सेविंग या करंट अकाउंट में ही रखते हैं, जिस पर आपको बैंक से बेहद मामूली ब्याज मिलता है. इस फीचर को वैसे लोग भी यूज कर सकते हैं, जिनकी किसी एक सोर्स से भी हो रही इनकम सरप्लस हो रही हो.
कैसे काम करता है स्वीप इन फीचर?
यहां पर स्वीप इन बड़े काम की चीज है. यह फीचर आपके सेविंग या करंट अकाउंट में डले एक्सेस पैसे को एफडी में डाल देता है. जैसे मान लिया कि आपका हर महीने का खर्च है 50 हजार. आपने स्वीप इन फीचर के तहत अपने अकाउंट में 50 हजार की लिमिट लगा दी. अब होगा ये कि आपके अकाउंट में 50 हजार रुपये से ऊपर जो भी फंड रहेगा, वह खुद एफडी हो जाएगा. इससे आपको अपने एक्सेस फंड पर ज्यादा ब्याज का फायदा मिलेगा, जो सामान्य एफडी के बराबर होगा.
क्या इसमें भी एफडी की तरह जाम होगा पैसा?
एफडी कराने में सबसे बड़ी दिक्कत आती है कि इसमें पैसा जाम हो जाता है. मान लीजिए कि आप 2 लाख रुपये को 5 साल के लिए एफडी कराते हैं, तो यहां पर आपके 2 लाख रुपये 5 साल के लिए जाम हो गए. अगर अचानक कोई बडी जरूरत आ गई तो भी आप एफडी से पैसे निकाल नहीं सकते हैं, क्योंकि 5 साल की मैच्योरिटी से पहले एफडी तोड़ेंगे तो घाटा हो जाएगा. स्वीप इन फीचर यह दिक्कत भी दूर करता है. आप इस फीचर के तहत अचानक जरूरत पड़ने पर कुछ समय के लिए इस एफडी से पैसे निकाल सकते हैं और बाद में उसकी भरपाई कर सकते हैं. तय समय में वापस पैसे डाल देने पर आपको कोई फीस या पेनल्टी देने की जरूरत नहीं होगी.
कैसे मिलेगा स्वीप इन का लाभ?
अब बात ये आती है कि इस स्वीप इन फीचर का फायदा कैसे उठाया जाए? आप अपने बैंक से बात कर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. सारे प्रमुख बैंक अपने ग्राहकों को ये सुविधा देते हैं. जिस भी बैंक में आपका सेविंग या करंट अकाउंट है, उससे संपर्क करें. बैंक आपका स्वीप इन एफडी अकाउंट ओपन कर देगा. इस नए स्वीप इन एफडी अकाउंट को आपके पुराने सेविंग या करंट अकाउंट से लिंक कर दिया जाएगा. आप अपनी सहूलियत के हिसाब से स्वीप इन लिमिट सेट कर सकते हैं. बस हो गया काम... इतना करते ही मिलने लगेगा नॉर्मल अकाउंट पर एफडी का मजा!
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