(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Credit Report Vs Credit Score: एक ही चीज नहीं है क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट, जानिए दोनों में क्या है अंतर
Difference between Credit Report and Credit Score: क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट को आम तौर पर लोग एक ही चीज समझ लेते हैं. ये दोनों अलग-अलग हैं. आइए जानते हैं इनमें क्या अंतर है...
क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट अब कोई नई चीज नहीं हैं. लगभग हर कोई इनसे अवगत है. अगर आपने कभी कोई लोन लिया हो या क्रेडिट कार्ड यूज करते हैं तो निश्चित ही इनके बारे में जानते होंगे. हालांकि एक गलत धारणा है कि क्रेडिट रिपोर्ट और क्रेडिट स्कोर सिमिलर चीजें हैं. आम तौर पर क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट को एक ही चीज समझ लिया जाता है, जो ठीक नहीं है. आइए आज जानते हैं कि इन दोनों में क्या फर्क है...
क्रेडिट रिपोर्ट का हिस्सा है स्कोर
क्रेडिट स्कोर दरअसल तीन अंकों की एक संख्या होती है. क्रेडिट स्कोर को 300 से 900 के बीच दिखाया जाता है और 750 से ऊपर के स्कोर को अच्छा माना जाता है. क्रेडिट स्कोर इस बात का सारांश होता है कि उधार चुकाने में आपकी साख कैसी है, जबकि क्रेडिट रिपोर्ट आपके हर प्रकार के कर्ज की विस्तृत रिपोर्ट होती है. क्रेडिट स्कोर दरअसल क्रेडिट रिपोर्ट का एक हिस्सा होता है.
ऐसे तैयार होते हैं स्कोर और रिपोर्ट
क्रेडिट रिपोर्ट को TransUnion, Equifax और Experian जैसे क्रेडिट ब्यूरो तैयार करते हैं. क्रेडिट स्कोर कुछ बैंक खुद भी तैयार करते हैं. VantageScore और FICO जैसी कंपनियां भी क्रेडिट स्कोर तैयार करती हैं. अलग-अलग ब्यूरो की क्रेडिट रिपोर्ट अलग-अलग हो सकती है, क्योंकि सभी बैंक हर ब्यूरो को रिपोर्ट नहीं करते हैं. क्रेडिट रिपोर्ट स्टैंडअलोन डॉक्यूमेंट होती हैं, जबकि क्रेडिट स्कोर को इन रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया जाता है.
क्रेडिट रिपोर्ट में होता है इतिहास
क्रेडिट रिपोर्ट में आपके कर्ज के सभी अकाउंट दर्ज होते हैं, चाहे वो अभी ओपन हों या क्लोज. इसका मतलब हुआ कि आपने अपने जीवन में जितने कर्ज लिए, रिपार्ट में सब दर्ज होते हैं. जो लोन अकाउंट बंद हो जाते हैं, उन्हें रिपोर्ट में बंद दिखाया जाता है. आपके सारे क्रेडिट कार्ड की हिस्ट्री भी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज होती है. इनके अलावा आपने कर्ज किस रह से चुकाया, उसकी भी पूरी हिस्ट्री रिपोर्ट में रहती है.
घटते-बढ़ते रहता है क्रेडिट स्कोर
क्रेडिट स्कोर करंट होता है. इसे अमूमन पांच फैक्टर्स बकाया रकम, पेमेंट हिस्ट्री, क्रेडिट मिक्स, नए कर्ज और कर्ज की उम्र के हिसाब से तय किया जाता है. क्रेडिट स्कोर समय के साथ घटते-बढ़ते रहता है. अगर आप सही से पेमेंट करना शुरू करते हैं तो क्रेडिट स्कोर सुधरने लगता है. वहीं नए कर्ज लेने या नई इन्क्वायरी करने से क्रेडिट स्कोर कम होता है.
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