भारतीय शेयर बाजारों में भारी उठापटक के बीच तेजी पर क्यों संदेह? ये तीन फैक्टर जिम्मेदार
शेयर बाजारों में बीते चार सालों में सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली थी. सोमवार में ये तेजी देखने को मिली थी. जिसके बाद से निवेशकों की मुनाफावसूली देखने को मिली.

भारतीय शेयर बाजारों में इस समय काफी उठापटक देखने को मिल रहा है और अनिश्चितता की स्थित है. सेंसेक्स और निफ्टी की हफ्तेभर की चाल ने कई मार्केट एक्सपर्ट्स को भी कन्फ्यूज करके रख दिया है. छोटे और मझोले शेयर में छह दिनों के बाद भी अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली है. बाजार के जानकारों की मानें तो शेयर बाजार के इस उठापटक के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं. तो, आइये जानते हैं कि आखिर वो कौन से फैक्टर्स हैं, जिनकी वजह से ये उठापटक जारी है:
1- ग्लोबल टैरिफ को लेकर चिंता:
दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑटोमोबाइल सेक्टर पर नए टैरिफ लगाने के संकेत दिए हैं. इससे निवेशकों के सेंटीमेंट को बड़ा तगड़ा झटका लगा है. पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया था कि सभी नए टैरिफ को 2 अप्रैल से लागू नहीं किया जाएगा. इससे बाजार को हाल में कुछ राहत मिली थी.
मार्केट ये उम्मीद कर रही थी कि शायद 2 अप्रैल से भारत पर रेसिप्रोकल टैक्स नहीं लगाया जाएगा. लेकिन, इसको लेकर अब तक अनिश्चितता वाली बनी हुई है. हालांकि, जरूर इसको लेकर अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक बातचीत 26 मार्च से शुरू हो रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने साफ किया कि राष्ट्रपति ट्रंप अपनी पॉलिसी पर टिके हुए हैं. इससे निवेशकों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है और ट्रेड पॉलिसी को लेकर स्पष्टता आने तक वे नया दांव से बच रहे हैं.
2- तेजी के बाद मुनाफावसूली
शेयर बाजारों में बीते चार सालों में सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली थी. सोमवार में ये तेजी देखने को मिली थी. जिसके बाद से निवेशकों की मुनाफावसूली देखने को मिली. बिकवाली के दबाव के चलते एनएसई 13 में से 11 सेक्टोरियल इंडेक्स लाल निशान में चले गए.
सिर्फ निफ्टी, प्राइवेट बैंक और आईटी सेक्टर खुद को हरे निशान में बनाए रखने में सफल रहे. कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी हेड श्रीकांत चौहान ने बताया कि शॉर्ट टर्म में बाजार का स्ट्रक्चर पॉजिटिव बना हुआ है . लेकिन अधिक खरीदी के कारण ऊंचे स्तरों पर बिकवाली हो रही है.
3- कमजोर ग्लोबल संकेत
तीसरी और आखिरी वजह कमजोर ग्लोबल संकेत की रही है. ग्लोबल मार्केट, खासतौर से एशियाई बाजारों में कमजोरी का असर भी भारतीय शेयर बाजारों पर दिखाई दिया. मार्केट का जानकारों का कहना है कि बाजार फिलहाल अपनी चाल के लिए ग्लोबल संकेतों की तरफ देख रहा है, लेकिन मार्केट की तेजी कितनी टिकाऊ होगी ये शॉर्ट टर्म में इस पर निर्भर करेगा कि कौन सी कंपनियों के कॉर्पोरेट तिमाही नतीजे कैसे रहते हैं और घरेलू बाजार में उपभोग की स्थिति कैसी है.
गौरतलब है कि कंपनियों की तिमाही कमजोर नतीजों के चलते हाल में शेयर बाजार में पिछले कई महीनों तक गिरावट देखने को मिली थी. इसके चलते मार्केट एक्सपर्ट्स को कंपनियों का वैल्यूएशन ऊंचा लगने लगा था. जब तक कॉर्पोरेट आय में उछाल नहीं आती है तब तक बाजार में आने वाली किसी भी तेजी के टिकाऊ होने पर संदेह बना रहेगा. वैसे भी एक कहावत है कि शेयर की कीमतें लंबी अवधि में उसकी अर्निंग्स की गुलाम होती है.
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