भारत में डिजिटल पेमेंट की ग्रोथ तेजी से हुई है और अभी हाल ऐसा है कि दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में भी यूपीआई से लेन-देन करना सामान्य हो चुका है. हालांकि डिजिटल पेमेंट की इस ग्रोथ के साथ-साथ ऑनलाइन फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. ऑनलाइन पेमेंट में फ्रॉड के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए सरकार लगातार कई उपाय कर रही है.
मिनिमम टाइम लिमिट पर विचार
इस सिलसिले में हजारों संदिग्ध नंबरों को पहले ही बंद किया जा चुका है. अब सरकार ऑनलाइन पेमेंट फ्रॉड पर रोकथाम के लिए यूपीआई लेन-देन पर कुछ पाबंदियां लगाने की योजना में है. जिन उपायों पर विचार हो रहा है, उनमें सबसे अहम है यूपीआई पेमेंट के लिए मिनिमम टाइम लिमिट. अभी इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है, लेकिन इस पर एक्टिवली सोचा जा रहा है.
4 घंटे की लगाई जा सकती है लिमिट
अब यह जान लेना जरूरी है कि ये मिनिमम टाइम लिमिट क्या है? यूपीआई पेमेंट दो यूजर्स के बीच होता है, जिसमें एक पेमेंट करने वाला होता है, जबकि दूसरा रिसीव करने वाला. ऐसा प्रस्ताव है कि किसी दो यूजर्स के बीच पहली यूपीआई ट्रांजेक्शन के लिए न्यूनतम समय की एक लिमिट लगाई जाए. अभी मिनिमम टाइम लिमिट को 4 घंटे रखने पर विचार हो रहा है.
70 लाख नंबर हो चुके सस्पेंड
इससे पहले सरकार कई संदिग्ध नंबरों को बंद कर चुकी है. फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्रेटरी विवेक जोशी ने बैंक अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मंगलवार को बताया था कि संदिग्ध लेन-देन में संलिप्तता के कारण सरकार पहले ही 70 लाख मोबाइल नंबरों को सस्पेंड कर चुकी है. संदेहास्पद मोबाइल नंबरों का सस्पेंड करना भी ऑनलाइन पेमेंट फ्रॉड पर लगाम लगाने के संभावित उपायों में शामिल है.
बैंकों के साथ मिलकर हो रहा काम
सरकार देश भर में बढ़ते ऑनलाइन पेमेंट फ्रॉड से बेहद चिंतित है. इस कारण सरकार फ्रॉड के ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए अन्य उपायों पर भी गौर कर रही है और उन्हें आजमा रही है. सरकार कस्टमर इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी को मजबूत बनाने के लिए भी बैंकों के साथ मिलकर विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है.
ये भी पढ़ें: जोमैटो की उड़ान पर लग सकता है ब्रेक, हिस्सा बेचने वाली है जैक मा की ये कंपनी