ऑनलाइन धोखाधड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है. डिजिटल पेमेंट की सहूलियतें बढ़ने के साथ ही क्रेडिट या डेबिट कार्ड  की हैकिंग या क्लोनिंग से  हैकर लोगों का अकाउंट खाली कर रहे हैं. सबसे ज्यादा धोखाधड़ी क्रेडिट कार्ड के जरिये ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान होता है.  इस धोखाधड़ी से बचने का एक आसान तरीका है और वह है वर्चुअल क्रेडिट कार्ड  का इस्तेमाल.


बैंक की इंटरनेट फैसिलिटी का इस्तेमाल कर बना सकते हैं वर्चुअल क्रेडिट कार्ड


वर्चुअल क्रेडिट कार्ड फिजिकल नहीं बल्कि एक इलेक्ट्रॉनिक कार्ड होता है. इसे बैंक की इंटरनेट फैसिलटी के इस्तेमाल कर ऑनलाइन ही बनाया जा सकता है. इसमें आपको अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड का ब्योरा देना होता है. इसके लिए कोई चार्ज नहीं देना पड़ता है. इसमें आपको वो सभी जानकारी मिलती है जो डेबिट या क्रेडिट कार्ड में होती है.यह कार्ड अधिकतम 48 घंटे के लिए होता है. इसका इस्तेमाल सिर्फ एक बार हो सकता है. अगली बार के ट्रांजेक्शन के लिए आपको अलग कार्ड बनाना पड़ेगा.  हर बैंक के क्रेडिट, डेबिट कार्ड की वैलिडिटी या लिमिट अलग-अलग हो सकती है.


दरअसल फिजिकल कार्ड न होने की वजह से किसी दुकादार या सर्विस देने वाले के हाथ में यह कार्ड आपको नहीं देना पड़ता है धोखाधड़ी की आशंका खत्म हो जाती है. हरेक वर्चुअल कार्ड का अपना वर्चुअल कार्ड नंबर, सीवीवी नंबर और  वैलिडिटी का ब्योरा होता है. किसी अन्य रेगुलर क्रेडिट कार्ड की तरह इसका इस्तेमाल ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए किया जा  सकता है. डेबिट कार्ड की तरह इसका इस्तेमाल एटीएम में नहीं हो सकता. वर्चुअल क्रेडिट कार्ड उनके लिए उपलब्ध हो सकता है जिनके पास क्रेडिट कार्ड नहीं है. वर्चुअल क्रेडिट कार्ड को डेबिट कार्ड या अकाउंट से लिंक किया जाता है.


कोरोना संक्रमण के दौर में ऑनलाइन धोखाधड़ी काफी बढ़ गई है. ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले लोगों को सस्ते सामान का ऑफर देकर या ऐसी फर्जी स्कीमों के जरिये अपना शिकार बन रहे हैं. इसलिए क्रेडिट कार्ड का फिजिकल इस्तेमाल न करके वर्चुअल क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल ज्यादा कारगर साबित हो सकता है.