(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Wheat Prices: त्योहारों के आने से बढ़ने लगी मांग, गेहूं और चीनी के भाव में आई गर्मी, सरकार ने किए ये उपाय
Wheat & Sugar Prices: त्योहारों के कारण कई चीजों की डिमांड तेज हुई है, जिसका असर कीमतों पर देखने को मिल रहा है. पिछले कुछ दिनों में चीनी और गेहूं के भाव तेजी से बढ़े हैं...
त्योहारी सीजन के जोर पकड़ते ही बाजार में डिमांड तेज होने लग गई है. लगभग हर सेगमेंट में डिमांड बढ़ रही है. खासकर खाने-पीने की चीजों की मांग मजबूत हुई है. इसका असर कीमतों पर दिखने लगा है. त्योहारी मांग आने से गेहूं और चीनी की कीमतों में अच्छी-खासी तेजी रिकॉर्ड की जा रही है.
इतना हो गया गेहूं का भाव
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक खबर के अनुसार, त्योहारी मांग आने से गेहूं की कीमतों में तेजी आने लग गई है. पिछले सप्ताह दिल्ली में गेहूं के भाव में 5-6 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह 27 रुपये प्रति किलो के स्तर के पार निकल गया. इसके चलते मिलिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि या तो जीरो ड्यूटी पर गेहूं के आयात की मंजूरी दी जाए या बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकारी एजेंसी एफसीआई की बिक्री बढ़ाई जाए.
कम हो गया उत्पादन का अनुमान
इस बीच सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं की उपज के अनुमान को कम कर दिया है, जो गेहूं के भाव पर और प्रेशर बढ़ा सकता है. सरकार ने अब अनुमान को 2.19 एमटी घटाकर 110.55 एमटी कर दिया है. इससे पहले 2021-22 में देश का गेहूं उत्पादन 107.74 एमटी रहा था. फसल वर्ष की शुरुआत साल के जुलाई महीने में होती है और अगले साल के जुलाई महीने तक क्रॉप ईयर चलता है.
सात साल में सबसे ज्यादा चीनी का भाव
दूसरी ओर घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में भी तेजी दिख रही है. भारत में चीनी की कीमतें अभी सात साल में सबसे ज्यादा है. महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में इस साल मानसून के चलते गन्ने की फसल प्रभावित हुई है. इस कारण 2023-24 में उत्पादन का अनुमान 3.3 फीसदी घटाकर 31.7 मिलियन टन कर दिया गया है.
सरकार ने किए ये उपाय
इस कारण सरकार ने एक दिन पहले चीनी के निर्यात पर लगी पाबंदियों को बढ़ाने का ऐलान किया है. विदेशी व्यापार महानिदेशालय ने इस संबंध में बुधवार को एक नोटिफिकेशन जारी किया. नोटिफिकेशन के अनुसार, अब चीनी की विभिन्न किस्मों के निर्यात पर अक्टूबर से आगे भी पाबंदियां लागू रहेंगी. भारत में पिछले दो सालों से चीनी के निर्यात पर पाबंदियां लगी हुई हैं. पांबदियों वाली व्यवस्था में सरकार चीनी मिलों को निर्यात के लिए कोटा इश्यू करती है.
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