Wheat Export Ban: घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ने और महंगाई में कमी आने तक जारी रहेगी गेहूं के निर्यात पर रोक
Wheat Export Ban Update: पीयूष गोयल ने कहा कि गेहूं के निर्यात पर लगी रोक फिलहाल जारी रहेगी.
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Wheat Export Ban: गेहूं के निर्यात पर लगे बैन को मोदी सरकार अभी वापस नहीं लेगी. जब तक देश के घरेलू बाजार में गेहूं की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित नहीं हो जाती है और साथ ही महंगाई में कमी नहीं आ जाती जब तक सरकार गेहूं के निर्यात पर लगी रोक को जारी रखेगी. खाद्य एंव उपभोक्ता मामलों और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ये बयान दिया है.
पीयूष गोयल ने कहा कि गेहूं की खरीद शुरू हो चुकी है पहले हफ्ते में खरीद के आंकड़े बहुत संतोषजनक रहा है. उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश के बावजूद गेहूं की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि, भारतीय बाजार में पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित किया जाना बेहद जरुरी है. और एक बार खरीद पूरी हो जाती है तो उसके बाद ये जरुरी होगा कि देश में महंगाई पर लगाम लगाई जाये. और इसलिए गेहूं के निर्यात पर बैन जारी रखना जरुरी है. आपको बता दें भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है. लेकिन घरेलू बाजार में कीमतों में तेजी उछाल के बाद मई 2022 में केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर बैन लाने का फैसला किया था.
केंद्र सरकार ने बेमौसम बारिश के चलते गेहूं खरीद के लिए क्वालिटी के नियमों में ढील दी है. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ में किसानों को कम दामों पर गेहूं ना बेचना पड़े इसलिए उनके हितों को ध्यान रखते हुए सरकार ने ये छूट दी है. बेमौसम बारिश के चलते खड़ी गेहूं के फसल को नुकसान पहुंचा था जिसके बाद रोज्यों ने केंद्र सरकार से सरकारी खरीद के दौरान नियमों में ढील दिए जाने की मांग की थी. सरकार 10 अप्रैल तक 2023-24 मार्केटिंग सीजन में 13.20 लाख टन गेहूं की खरीदारी कर चुकी है. पंजाब में 1000 टन तो हरियाणा में 88000 टन गेहूं की खऱीद की गई है. इन राज्यों में मंडी में ज्यादा गेहूं नहीं पहुंचने के कारण कम खरीद हुई है लेकिन आने वाले दिनों में रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है.
वहीं सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है घरेलू मार्केट में पर्याप्त सप्लाई के जरिए गेहूं के दामों में कमी लाना. बीते एक वर्ष में गेहूं की कीमतों में तेजी उछाल देखने को मिला है. इसके चलते आटा, से लेकर आटे से बनने वाली दूसरी चीजें भी महंगी हुई है. एक साल बाद 2024 में महाचुनाव होना है. सरकार की कोशिश है कि पर्याप्त सप्लाई के जरिए घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में कमी लाई जाये नहीं तो इसका राजनीतिक नुकसान हो सकता है.
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