Wheat Price Hike: अगले दो महीने में गेंहू की नई फसल तैयार हो जाएगी. जाहिर है इस रबी सीजन में भी सरकार पीडीएस सिस्टम के जरिए गरीबों को गेहूं उपलब्ध कराने और ओपेन मार्केट में दामों पर नियत्रंण रखने के लिए अपने स्टॉक के लिए गेहूं की खरीदारी करेगी. लेकिन इस सीजन में सरकार के एमएसपी के भाव पर गेहूं खरीदना इतना आसान नहीं रहने वाला है. वजह है गेहूं के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी और सरकार ने इस रबी सीजन के लिए गेहूं का जो एमएसपी तय कर रखा है उससे 50 फीसदी ऊंचे दामों पर गेहूं का भाव जा पहुंचा है.
MSP से 50% ज्यादा है गेहूं के दाम
2022-23 रबी सीजन के लिए सरकार ने गेहूं खरीदने के लिए 2125 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी (MSP) तय किया है. जबकि खुले बाजार में गेहूं के दाम 3150 प्रति क्विंटल के ऊपर जा पहुंचा है. और सरकार ने 15 दिनों में ओपेन मार्केट में गेहूं का स्टॉक जारी नहीं किया तो गेहूं के दामों में 5 से 6 फीसदी का उछाल और भी देखने को मिल सकता है. पहले के सालों में किसान एमएसपी पर फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को गेहूं बेचने को तरजीह देते थे. क्योंकि तब ओपेन मार्केट में एमएसपी के मुकाबले किसानों को कम भाव मिलता था. लेकिन 2021-22 रबी सीजन में हालात बदल गए जब किसानों ने खुले बाजार में प्राइवेट ट्रेडर्स को गेहूं बेचने को तरजीह दी क्योंकि उन्हें ज्यादा दाम मिल रहा था. 2021-22 सीजन में एफसीआई के गेहूं खरीद में 56 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी.
गेहूं खरीद की चुनौती
मौजूदा रबी सीजन में देश में खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एफसीआई को पर्याप्त मात्रा में गेहूं खरीदना होगा. उसपर से 2024 में लोकसभा चुनाव भी होने वाला है ऐसे में सरकार गेहूं के कम खरीद का जोखिम नहीं ले सकती है. गेहूं के दामों में नरमी के आसार कम नजर आ रहे हैं ऐसे में सरकार एमएसपी के ऊपर बोनस देगी तभी सरकार को पर्याप्त मात्रा में गेहूं खरीदने में सफलता मिल सकती है. एक जनवरी 2023 को एफसीआई के गोदामों में 172 लाख टन गेहूं का स्टॉक था जबकि एक जनवरी 2022 को ये स्टॉक 330 लाख टन का हुआ करता था. सरकार ने 138 लाख टन बफर स्टॉक का लिमिट तय किया हुआ है.
सरकार नहीं देगी एक्सपोर्ट की इजाजत
मई 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब गेहूं के दामों में तेजी उछाल आई तब देश में खाद्य सुरक्षा पर कोई संकट ना आए इसके लिए सरकार ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था. दामों पर नियत्रंण रखना भी बड़ा मकसद था. और माना जा रहा कि जिस प्रकार घरेलू बाजार में गेहूं के दामों में तेज उछाल देखने को मिल रही है सरकार गेहूं के निर्यात पर से बैन फिलहाल ना हटाये. ऐसा करने से घरेलू मार्केट में गेहूं की सप्लाई बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे दामों में कमी लाने में मदद मिल सकती है.
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