Wheat Procurement 2023-24: सरकार चालू सत्र में किसानों से रिकॉर्ड तेजी के साथ गेहूं की खरीदारी कर रही है. पिछले साल पूरे सीजन में जितनी खरीदारी हुई थी, इस बार सरकार ने खरीद के उस आंकड़े को अभी ही पार लिया है. सरकार ने बीते दिनों गेहूं की खरीद के आंकड़ों की आधिकारिक जानकारी दी है.


एक महीने में बना रिकॉर्ड


सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से शुरू हुए चालू विपणन वर्ष में अब तक गेहूं की खरीद 195 लाख टन तक पहुंच गई है, जो पिछले साल की कुल खरीद के स्तर से अधिक है. रबी विपणन सत्र हर साल अप्रैल से शुरू होता है और अगले साल मार्च तक चलता है, लेकिन थोक स्तर पर खरीद अप्रैल से जून के बीच होती है. इसका मतलब हुआ कि एक महीने से भी कम समय में पूरे पिछले सीजन से ज्यादा गेहूं की खरीद हो चुकी है.


1 अप्रैल से शुरू हुआ सीजन


सरकार ने बताया कि रबी विपणन सत्र 2022-23 में यानी अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के दौरान 188 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी. वहीं चालू विपणन सत्र में 26 अप्रैल तक ही गेहूं की खरीद 195 लाख टन की खरीद हो चुकी है. यानी 1 अप्रैल से शुरू हुए रबी विपणन सत्र 2023-24 के दौरान गेहूं की खरीद पहले ही रबी विपणन सत्र 2022-23 की कुल खरीद स्तर को लांघ चुका है.


किसानों को मिला इतना फायदा


सरकार का कहना है कि गेहूं की सरकारी खरीद में इस तेजी से काफी हद तक किसानों को फायदा हुआ है. चल रहे गेहूं खरीद कार्यों के दौरान लगभग 41,148 करोड़ रुपये का एमएसपी पहले ही लगभग 14.96 लाख किसानों को दिया जा चुका है.


इन 3 राज्यों का योगदान


आंकड़ों के अनुसार, इस रिकॉर्ड खरीद में प्रमुख योगदान तीन गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश ने दिया है. इस साल अब तक पंजाब में जहां 89.79 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है, हीं हरियाणा ने 54.26 लाख टन और मध्य प्रदेश ने 49.47 लाख टन का योगदान दिया है.


इस कारणों से तेज हुई खरीद


सरकार ने बेमौसम बारिश के चलते इस साल खरीदारी में गुणवत्ता को लेकर किसानों को रियायत दी है. ऐसा देखा जाता है कि बेमौसम बारिश होने से गेहूं की फसल प्रभावित होती है और उनकी चमक कम रह जाती है. इसी कारण सरकार ने गुणवत्ता के मोर्चे पर रियायत दी है, जो तेज खरीदारी का मुख्य कारण है. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बेहतर पहुंच के लिए पहले से मौजूद खरीद केंद्रों के अलावा ग्राम/पंचायत स्तर पर खरीद केंद्र खोलने और सहकारी समितियों/ग्राम पंचायतों/आढ़तियों आदि के माध्यम से भी खरीद करने की अनुमति दी है.


सरकार के पास पर्याप्त भंडार


इसके साथ ही खरीफ की खरीद भी सुचारू ढंग से चल रही है. खरीफ विपणन सत्र 2022-23 के दौरान 26 अप्रैल, 2023 तक 354 लाख टन चावल की खरीद की जा चुकी है, जबकि 140 लाख टन चावल की खरीद की जानी अभी बाकी है. खरीफ विपणन सत्र अक्टूबर से अगले वर्ष के सितंबर महीने तक चलता है. खाद्य मंत्रालय का कहना है कि केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल का संयुक्त स्टॉक 510 लाख टन से अधिक हो गया है, जो देश की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक आरामदायक स्थिति है.


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