Independence Day: कभी जिन ब्रांडों से दुनिया में चला ब्रिटेन का सिक्का, अब उन्हें खरीद चुकी हैं भारत की कंपनियां
British Brands owned by Indian Companies: एक समय था, जब भारत ब्रिटेन का उपनिवेश हुआ करता था. आजादी के बाद भारत ने तेजी से तरक्की की और अब ब्रिटेन से बड़ी इकोनॉमी बन चुका है...
चंद दिनों की बात है. कैलेंडर पर 15 अगस्त की तारीख आते ही भारत को आजाद हुए 76 साल पूरे हो जाएंगे. सदियों तक गुलामी झेलने के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली और उसके बाद देश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बीते 76 सालों में देश ने किस तरह से तरक्की की है, उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अब भारत उस ब्रिटेन को जीडीपी के मामले में पीछे छोड़ चुका है, जिसने सैकड़ों सालों तक भारत पर शासन किया. समय के साथ न सिर्फ भारत एक अर्थव्यवस्था के तौर पर मजबूत वैश्विक ताकत बनकर उभरा, बल्कि साथ-साथ भारत के कॉरपोरेट ने भी दुनिया में अपना दम-खम दिखाया.
टाटा, महिंद्रा, रिलायंस... सबका योगदान
एक आजाद देश के तौर पर अभी भारत एशिया की दूसरी सबसे बड़ी और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. तमाम अनुमान बताते हैं कि भारत के लिए 4 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनना अब चंद महीनों की बात है. अभी फ्रांस और ब्रिटेन जैसी शक्तियां भारत से पीछे छूटी हैं, और जल्दी ही यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी से भी भारत आगे निकल जाएगा. आजाद भारत के इन 76 सालों में टाटा समूह से लेकर रिलायंस समूह और महिंद्रा-आयशर आदि ने मिलकर कई आइकॉनिक ब्रिटिश ब्रांडों को खरीदकर इंडियन बना दिया है. मजेदार है कि जिस ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर 100 साल से ज्यादा शासन किया, अब उसके मालिक भी एक भारतीय मूल के कारोबारी हैं.
भारतीय उद्योग ने दिखाया है दम
अभी जब देश 77वें स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों में जुटा हुआ है, आइए हम आपको 10 ऐसे ब्रिटिश ब्रांड के बारे में बताते हैं, जो कभी दुनिया भर में ब्रिटेन की सत्ता और प्रतिष्ठा की ध्वजवाहक हुआ करते थे, लेकिन आज भारतीय उद्योग का हिस्सा बन चुके हैं. यह सूची और भी बड़ी हो सकती है, लेकिन हम सिर्फ 10 आइकॉनिक ब्रिटिश ब्रांडों की कहानी जानते हैं...
ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company): इस कहानी को शुरू करते हैं कुख्यात ईस्ट इंडिया कंपनी से. रिवर्स कॉलोनियलिज्म का इससे उत्कृष्ट उदाहरण नहीं मिल सकता है. 1857 की क्रांति से पहले तक भारत पर ब्रिटेन की ओर से इसी कंपनी का शासन चल रहा था. उस समय इस कंपनी के पास अपनी सेना थी, भारत जैसे बड़े देशों का शासन था, समंदर पर एकछत्र राज था. अभी इसे भारतीय मूल के संजीव मेहता ने खरीद ली है और एक ई-कॉमर्स कंपनी में तब्दील कर दिया है.
इस बारे में विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं: 250 साल चला था भारत पर जिस कंपनी का राज, अभी एक भारतीय ही बन गया है उसका मालिक
जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover): यह सबसे आइकॉनिक लग्जरी कार ब्रांड में से एक है. यूरोप और चीन जैसे बाजारों में जगुआर और लैंड रोवर की कारें खूब बिकती हैं. आर्थिक मुश्किलों में फंसने के बाद पहले इसे अमेरिकी कंपनी फोर्ड ने खरीदा. वह भी इसे संभाल नहीं पाई तो अंत में इस कंपनी को टाटा ने 2008 में खरीद लिया. अभी फिर से यह टॉप लग्जरी कार ब्रांडों में शुमार है.
टेटली टी (Tetley Tea): ब्रिटिश ब्रांडों को खरीदने में टाटा समूह सबसे आगे है. टाटा की सूची इस मामले में बहुत लंबी है. टेटली टी अभी ब्रिटेन और कनाडा जैसे कई बाजारों में सबसे ज्यादा बिकने वाला चाय ब्रांड है. इसका इतिहास 200 साल से ज्यादा पुराना है, लेकिन अभी यह टाटा समूह की टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड का हिस्सा है.
डिलिजेंटा (Diligenta): यह ब्रिटेन की आईटी इंडस्ट्री की झंडाबरदार कंपनी थी. इसे टाटा समूह की टीसीएस ने खरीदी है. अब यह भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस की सब्सिडियरी के तौर पर काम करती है. इसका काम अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में है, जहां यह रिटेल से लेकर बैंकिंग-फाइनेंस सेक्टर को आईटी सर्विसेज प्रोवाइड करती है.
कोरस ग्रुप (Corus Group): दुनिया की शक्ल-सूरत बदलने में स्टील इंडस्ट्री का सबसे बड़ा योगदान है. इसने औद्योगिक क्रांति की राहें बनाई. इस स्टील इंडस्ट्री का सिरमौर थी कोरस ग्रुप कंपनी. फिर आया साल 2007 और कोरस को टाटा स्टील ने खरीद लिया. अब इसका नाम टाटा स्टील यूरोप हो गया है और यह टाटा स्टील की यूरोपियन सब्सिडियरी के तौर पर काम करती है.
रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield): ऑफ रोड बाइकिंग की जब भी बात होगी, रॉयल एनफील्ड का नाम जरूर आ जाएगा. अभी भी यह सबसे ज्यादा बिकने वाली ऑफ रोड बाइक है. यह कंपनी 1901 में शुरू हुई थी और 1994 में इसे आयशर मोटर्स ने खरीद लिया.
बीएसए मोटरसाइकिल्स (BSA Motorcycles): यह एक अन्य क्लासिक मोटरसाइकिल ब्रांड है. इस कंपनी की शुरुआत बर्मिंघम स्मॉल आर्म्स कंपनी के रूप में हुई थी. 2016 से यह महिंद्रा एंड महिंद्रा का हिस्सा है.
हेमलेज (Hamleys): आयकॉनिक ब्रिटिश ब्रांडों को खरीदने में भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी भी पीछे नहीं हैं. यह प्रीमियम खिलौने बनाने वाली कंपनी है. भारत और चीन ही नहीं बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में इस कंपनी का प्रीमियम सेगमेंट में दबदबा है. इसे 2019 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने खरीदकर अपने कारोबारी साम्राज्य का हिस्सा बना लिया.
ऑप्टेयर (Optare): ऑप्टेयर इलेक्ट्रिक बस बनाने वाली कंपनी है. कंपनी सिंगल डेकर से लेकर डबल डेकर और टूरिस्ट व लग्जरी सभी सेगमेंट में इलेक्ट्रिक बसें बनाती है. यह अब देश की सबसे बड़ी कमर्शियल व्हीकल कंपनियों में से एक अशोक लीलैंड का हिस्सा है. अशोक लीलैंड के हिंदुजा बंधु लंदन की सबसे महंगी प्रॉपर्टी के भी मालिक बने हैं. वे ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों की सूची में भी नंबर-1 पर हैं.
इस बारे में यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं: इंग्लैंड में भारत का झंडा बुलंद, भारतीय मूल का यह शख्स है सबसे अमीर, मीलों पीछे ब्रिटेन के महाराज
इम्पीरियल एनर्जी (Imperial Energy): सरकारी कंपनी ओएनजीसी भी विदेश में कारोबार का विस्तार कर रही है और उसी के तहत ब्रिटेन की यह पुरानी पेट्रोलियम कंपनी ओएनजीसी का हिस्सा बन गई. यह साइबेरियन इलाके की सबसे बड़ी तेल कंपनी है.