Subrata Roy Death: सहाराश्री के बाद उनका वारिस कौन, किसके हाथ में जायेगा सुब्रत रॉय का साम्राज्य
Who Will Lead Sahara: सुब्रत रॉय के जाने के बाद 2.59 लाख करोड़ नेट वर्थ वाला सहारा ग्रुप किसके हाथ में जाएगा, यह स्पष्ट नहीं है. उन्होंने बेटों या पत्नी में से किसी को उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था.
Who Will Lead Sahara: सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय (Subrata Roy) के निधन के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि किसके हाथ में सहारा इंडिया परिवार (Sahara India Pariwar) की कमान जाएगी. छवि रॉय (Chhavi Roy) और सुधीर चंद्र रॉय (Sudheer Chandra Roy) के घर में जन्मे सुब्रत रॉय सहारा का विवाह स्वप्ना रॉय (Swapna Roy) से हुआ था. स्वप्ना कंपनी में ही काम करती थीं. उनके दो बेटे सुशांतो रॉय (Sushanto Roy) और सीमांतो रॉय (Seemanto Roy) हैं. सहारा ग्रुप की वेबसाइट के अनुसार फिलहाल कंपनी की नेट वर्थ 2.59 लाख करोड़ रुपये है. सहाराश्री ने कभी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था. फिलहाल कंपनी ने भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है.
क्या-क्या है सहारा के पास
सहारा समूह की तरक्की कानूनी विवाद में फंसकर रुक गई थी. हालांकि, कंपनी के अनुसार सहारा ग्रुप के पास 9 करोड़ निवेशक हैं. कंपनी के 5000 से ज्यादा ऑफिस, मॉल और बिल्डिंग भी हैं. देशभर उनके पास अरबों रुपये की जमीन और देश-विदेश में होटल एवं घर भी हैं. कंपनी ने रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया, एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर में अपने पैर पसार लिए थे.
आईपीएल और फार्मूला वन टीम, एयरलाइन में भी हाथ आजमाए
सहारा इंडिया ने अपनी तरक्की के दिनों में बहुत ऊंचाई को छुआ था. लगभग 11 लाख कर्मचारी सहारा परिवार का हिस्सा थे. कंपनी कई सालों तक इंडियन क्रिकेट टीम की स्पांसर भी रही. उन्होंने आईपीएल में पुणे वारियर्स नाम की टीम भी खरीद ली थी. इसके अलावा फार्मूला वन टीम भी बना ली थी. सहारा एयरलाइन, ऐंबी वैली और लग्जरी हाउसिंग में कंपनी कमाल कर रही थी. मगर सितारे गर्दिश में आते ही उसे कई बिजनेस से हाथ धोना पड़ा.
क्या था विवाद, क्यों जाना पड़ा था जेल
साल 2009 में कंपनी ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट और सहारा हाउसिंग इवेस्टेमेंट का आईपीओ लाने की योजना बनाई. आवेदन करने पर सेबी ने उनसे कंपनी का पूरा बायोडेटा मांग लिया. सहारा पर निवेशकों का पैसा गलत तरीके से इस्तेमाल करने के आरोप लगे. सेबी ने आरोप लगाया कि दोनों कंपनियों के 3 करोड़ निवेशकों से 24 हजार करोड़ रुपये जुटाए गए जबकि इनके शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं थे. सुप्रीम कोर्ट ने उन पर 12 हजार करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया. आदेश का पालन न करने पर उन्हें दो साल जेल में रहना पड़ा.
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