दक्षिण कोरिया कि पहली वर्चुअल इन्फ्लुएंसर रोजी को इस साल 6 करोड़ रुपये मिले हैं. जल्द ही यह वर्चुअल इन्प्लुएंसर कोरियाई उद्योग जगत पर अपना अधिकार पर सकते हैं. क्योंकि वह अब विज्ञापन उद्योग में भी ब्लू चिप के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं.
एक वर्चुअल इनफ्लुएंसर रोजी एक उभरती हुई सोशल मीडिया पर्सानालिटी है, उसे अब तक आधिकारिक रूप से 8 कॉनट्रैक्ट मिल चुका जबकि 100 से ज्यादा स्पानसरशिफ भी मिल चुके हैं.
करोड़ों रुपये कमाकर वर्चुअल इन्फ्लुएंसर्स मुख्यधारा में जाने की कगार पर हैं. COVID-19 महामारी से प्रेरित, डिजिटल रूप से बनाए गए ये अवतार अब वास्तविक सोशल मीडिया पर कई को पछाड़ रहे हैं.
सिडस स्टूडियो एक्स ने रोजी को बनाया
रोजी को सिडस स्टूडियो एक्स ने पिछले साल अगस्त में विकसित किया था, 22 साल की उम्र में, रोज़ी अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक इंसान की तरह दिखती और महसूस करती है, जिसके 60,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं.
कई ब्रांड्स इन वर्चुअल इंसानो से जुड़े अभियानों पर खूब पैसा खर्च कर रहे हैं. आज कल इंसान खुद से ज्यादा फोन स्क्रीन्स के बात करना पसंद करते हैं, ऐसे वह वर्चुअल इन्फ्लुएंसर को फॉलो करते हैं. इसके अलावा, ऐसे कंप्यूटर जनित मानव वास्तविक लोगों की प्रामाणिकता से मेल खाने के लिए उत्तम दृश्य गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार वर्चुअल इन्फ्लुएंसर इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर एक औसत मानव प्रभावक की तुलना में 10 गुना अधिक जुड़ाव देख सकते हैं.
अगले पांच साल में वैश्विक इन्फ्लुएन्सर बाजार 87,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है. रोजी की तरह एक इन्फ्लुएंसर लिल मिकेला ने कथित तौर पर एक साल में 85 करोड़ रुपये अपने मालिक के लिए कमाएं.
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