Working hours: भारत में 70 घंटे काम करने को लेकर बहस छिड़ी हुई है. एक तरफ इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने भारत में युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात की थी, वहीं एल एंड टी के चेयरमैन ने हफ्ते में 90 घंटे काम करने का बयान दिया था. इस बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि ने एक रिसर्च पेपर जारी किया, जिसमें खुलासा किया गया है कि भारत में लोग असल में कितना काम करते हैं. 


अपनी इस एनालिसिस को उन्होंने Time Spent on Employment-Related Activities in India का शीर्षक दिया, जो 2019 में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के इस्तेमाल किए गए आंकड़ों पर आधारित है. 


कितना काम करते हैं भारतीय


भारत में सैलरीड वर्कर्स हर दिन औसतन 422 मिनट और हफ्ते में लगभग 42 घंटे काम करते हैं. जहां शहर में लोग 469 मिनट (7.8 घंटे) काम करते हैं, वहीं गांव में लोग औसतन 399 मिनट (6.65 घंटे) काम करते हैं. इसी तरह से सरकारी कर्मचारी प्राइवेट या पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के वर्कर्स के मुकाबले हर दिन 45 मिनट कम काम करते हैं. जबकि शहर में सरकारी कर्मचारी गांव में सरकारी कर्मचारियों के मुकाबले हर रोज एक घंटा ज्यादा काम करते हैं. 


अलग-अलग राज्यों में वर्क कल्चर


दमन और दीव व दादरा और नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में हर रोज 600 मिनट से अधिक काम होता है, जबकि गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में औसतन 360 मिनट से कम काम होता है. एक तरफ दिल्ली में लोग 8.3 घंटे काम करते हैं, वहीं गोवा में वर्कर्स केवल 5.5 घंटे काम करते हैं. 


पुरुषों और महिलाओं के काम करने में अंतर


शहरों में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले हर रोज दो घंटे कम काम करती हैं, जबकि गांव की महिलाएं इस मामले में पुरुषों से 1.8 घंटे पीछे हैं. अनुसूचित जनजातियां अन्य समूहों की तुलना में कम घंटे काम करते हैं, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) राष्ट्रीय औसत के बराबर है. 


काम के घंटे का इकोनॉमिक प्रोडक्टिविटी पर असर


डॉ. रवि की एनालिसिस में यह देखा गया है कि काम के समय में 1 परसेंट के इजाफे से प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद (NSDP) में 1.7 परसेंट की बढ़ोतरी होती है. बड़े राज्यों में काम के घंटों में 1 परसेंट की बढोतरी से NSDP में 3.7 परसेंट तक की वृद्धि हुई है. 


काम के मामले में कौन सा राज्य आगे


मौजूदा समय में गुजरात की आबादी में से सबसे अधिक 7.21 परसेंट लोग हफ्ते में 70 घंटे से अधिक काम करते हैं, जबकि बिहार में यह अनुपात केवल 1.05 परसेंट है. 


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