(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Diesel Shortage Likely: पूरी दुनिया में खड़ा हो सकता है डीजल का संकट, जानें क्यों
Diesel Crisis Likely: अगले छह महीने में पूरी दुनिया में सप्लाई बाधित होने के चलते डीजल का संकट खड़ा हो सकता है.
Diesel Crisis Likely: पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए डीजल से ज्यादा किसी भी ईंधन की जरूरत नहीं है. डीजल से ही ट्रक, बसें, जहाज, और ट्रेनें चलती हैं. इसके अलावा डीजल का इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग के अलावा कृषि क्षेत्र में भी किया जाता है. सर्द देशों में घरों को गर्म रखने के लिए भी डीजल का इस्तेमाल किया जाता है. और जब प्राकृतिक गैस के दाम आसमान छू रहे हैं तो ऐसे में कई जगह डीजल का इस्तेमाल गैस की जगह किया जा रहा है. लेकिन आने वाले महीनों में सप्लाई में कमी के चलते दुनिया के हर एनर्जी मार्केट में डीजल का संकट पैदा होने वाला है.
महंगा हो सकता है डीजल!
डीजल संकट के चलते कीमतों में बेहतहाशा बढ़ोतरी का अनुमान है. जिससे घरों के गर्म रखने के लिए मोटी रकम खर्च करना पड़ सकता है. अमेरिका में केवल डीजल के दामों में बढ़ोतरी के चलते वहां की अर्थव्यवस्था पर 100 अरब डॉलर का वित्तीय बोझ बढ़ने का अनुमान है. अमेरिका में डीजल और हीटिंग ऑयल का स्टॉक चार दशकों के निचले स्तर पर है. नार्थवेस्ट यूरोप में भी स्टॉक की कमी है. रूस पर लगाये गए आर्थिक प्रतिबंधों के अमल में आने के बाद मार्च 2023 में संकट और गहरा सकता है. डीजल के संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्लोबल एक्सपोर्ट मार्केट में डीजल का ऐसा संकट है कि पाकिस्तान जैसे गरीब देशों को घरेलू जरूरतों के लिए सप्लाई के संकट का सामना करना पड़ रहा है. न्यू यॉर्क हार्बर जो कि बेंचमार्क है उसके स्पॉट मार्केट में डीजल के दामों में इस वर्ष 50 फीसदी का इजाफा आ चुका है. नंवबर में 4.90 डॉलर प्रति गैलन दाम पहुंच चुका है जो एक साल पहले के मुकाबले दोगुना है. नार्थवेस्ट यूरोप में डीजल के फ्यूचर का रेट ब्रेंट क्रूड से 40 डॉलर ज्यादा है.
क्यों है कमी?
पुरी दुनिया में रिफाइनिंग कैपेसिटी में कमी आई है. क्रू़ड ऑयल की सप्लाई को लेकर भी दिक्कतें हैं. लेकिन मुश्किलें तब बढ़ जाती है तब क्रूड को पेट्रोल और डीजल में रिफाइन करना पड़ रहा है. कोरोना महामारी के दौरान मांग घटने के बाद रिफाइनिंग कंपनियों ने कई कम मुनाफा देने वाले अपने कई प्लांट्स को बंद कर दिया. 2020 के बाद से अमेरिका की रिफाइनिंग कैपेसिटी एक मिलियन बैरल प्रति दिन कम हो गई है. तो यूरोप में शिपिंग डिसरप्शन और वर्कर्स के हड़ताल के चलते रिफाइनिंग पर असर पड़ा है. रूस से सप्लाई बंद होने के बाद दिक्कतें और बढ़ने वाली है. डीजल पर यूरोपीय देश सबसे ज्यादा निर्भर करते हैं. फरवरी में यूरोपियन यूनियन के रूस के समुद्री मार्ग से आने वाले डिलिवरी पर बैन अमल में आ जाएगा. लेकिन रूस से आने वाले सप्लाई का विकल्प नहीं ढूंढा गया तो यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है. ठंड से यूरोप की समस्या और गंभीर हो सकती है. यूरोप अभी भी रूस से डीजल इंपोर्ट कर रहा है साथ ही सउदी अरब, भारत जैसे देशों से भी आयात किया जा रहा है.
गरीब देशों पर असर
डीजल के संकट से भारत और चीन की रिफाइनिंग कंपनियों को फायदा होगा जो महंगे रेट पर बेच सकेंगे. जबकि गरीब देशों के लिए डीजल खऱीदना मुश्किल हो सकता है. मसलन श्रीलंका को ईंधन खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. थाइलैंड ने डीजल पर टैक्स घटाया है तो वियतनाम सप्लाई बढ़ाने के लिए इंमरजेंसी कदम उठा रहा है.
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