Wholesale inflation: भारत में थोक महंगाई दर (Wholesale Inflation Rate) दिसंबर 2024 में बढ़कर 2.37 फीसदी पर जा पहुंची है. जबकि एक महीने पहले नवंबर में यह 1.89 परसेंट पर आ गई थी. खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी के बावजूद  क महंगाई दर का बढ़ना चौंकाने वाला है. फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में यह पांचवीं दफा है, जब खाद्य वस्तुओं के दाम घटने के बावजूद थोक महंगाई दर 2 परसेंट से अधिक दर्ज की गई है. वाणिज्य मंत्रालय ने इसका खुलासा हुआ है. 


जबकि खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा इसके बिल्कुल विपरीत है. यह दिसंबर में चार महीने के निचले स्तर 5.2 प्रतिशत पर आ गई. दिसंबर में पहली बार खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति या महंगाई 9 प्रतिशत से नीचे गिरकर 8.4 प्रतिशत पर आ गई है.


गेहूं और धान की थोक महंगाई दर भी बढ़ी


दिसंबर में सालाना आधार पर आलू की थोक महंगाई दर में जहां 93.20 फीसदी का इजाफा हुआ है, वहीं अन्य सब्जियों की थोक कीमत में भी 28.65 फीसदी की बढोतरी हुई है. प्याज और फलों की थोक महंगाई दर क्रमश: 16.81 और 11.16 फीसदी बढ़ी हैं. इसी तरह से गेहूं की थोक महंगाई दर में 7.63 और धान की थोक महंगाई दर में 6.93 फीसदी की बढोतरी हुई है. 


मैन्यूफैक्चरिंग को ठहराया जा रहा जिम्मेदार


मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी होने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग को जिम्मेदार ठहराया है. इससे पहले थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2023 में बढ़कर 0.73 फीसदी तक पहुंच गई थी. इसमें बढ़ोतरी खासकर सब्जियों तथा दालों की कीमतों में तेज उछाल की वजह से आई थी.


वहीं जब दिसंबर 2024 के थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आंकड़े जारी किए गये, तो पाया गया कि नवंबर 2024 में 8.92 फीसदी के मुकाबले यह दिसंबर में घटकर 8.89 फीसदी तक पहुंच गई. इसी बीच ईंधन की कीमतों में 3.79 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो नवंबर में दर्ज की गई 5.83 फीसदी की गिरावट से काफी कम है. इसका असर विनिर्माण सेक्टर पर पड़ा, जो 2 फीसदी से बढ़कर 2.14 फीसदी हो गई. 


इसके चलते नवंबर 2024 के मुकाबले दिसंबर 2024 में खाद्य पदार्थों (-3.08 प्रतिशत) और कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस (-2.87 प्रतिशत) की कीमत में कमी आई. जबकि दिसंबर महीने में गैर-खाद्य पदार्थों (2.53 प्रतिशत) और खनिजों (0.48 प्रतिशत) की कीमत में महीने-दर-महीने वृद्धि हुई. 


 


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