नई दिल्लीः मई में थोक महंगाई दर में भी बढ़ोतरी हुई है और ये 14 महीने के उच्च स्तर पर जा पहुंची है. मई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 4.43 फीसदी हो गई, जबकि अप्रैल में यह दर 3.18 फीसदी थी. वहीं पिछले साल के इसी महीने में यह 2.26 फीसदी दर्ज की गई थी. कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों से गुरुवार को यह जानकारी मिली. खाने-पीने की चीजों और फ्यूल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण मई में थोक महंगाई दर बढ़ी है.
खुदरा महंगाई दर भी बढ़ी थी
इससे पहले खुदरा महंगाई दर में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. इस हफ्ते की शुरुआत में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर 4.87 फीसदी थी.
खाने-पीने की चीजों की वस्तुओं के दाम बढ़ने से खाद्य महंगाई में ये इजाफा देखा गया है. थोक महंगाई दर के खाद्य सूचकांक में मई में अप्रैल की तुलना में 0.67 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 1.12 फीसदी रही. इस दौरान प्राइमरी आर्टिकल्स पर खर्च बढ़कर 3.16 फीसदी हो गया, जबकि इसके पिछले महीने यह (-) 1.71 फीसदी पर थी. डब्ल्यूपीआई इंडेक्स में प्राइमरी आर्टिकल्स का वेटेज 22.62 फीसदी है.
डब्ल्यूपीआई आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग मंडल एसोचैम ने नीति निर्माताओं से पेट्रोल और डीजल कीमतों पर लगाम लगाने की गुजारिश की, ताकि महंगाई काबू में रहे. एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने बयान में कहा, "पेट्रोल-डीजल की कीमतों से बढ़ोतरी से इंडस्ट्री की भी लागत बढ़ जाती है, इससे उनकी मुनाफा कमाने की क्षमता पर भी असर होने लगता है."
कच्चे तेल की ग्लोबल कीमतों में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के खतरे का हवाला देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले हफ्ते प्रमुख कर्ज दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी, इसके चलते रेपो रेट पिछले चार सालों में पहली बार बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 6.25 फीसदी पर आ गया. आरबीआई ने मध्यम अवधि के लिए महंगाई का लक्ष्य 4 फीसदी रखा है.