नई दिल्ली: मैन्युफैक्चर्ड गुड्स के दाम में गिरावट से थोक महंगाई दर मार्च में घटकर 5.7 फीसदी पर आ गयी. थोक महंगाई या होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) इस साल फरवरी में 6.55 फीसदी रही थी. वहीं साल दर साल आधार देखें तो पिछले साल मार्च में थोक महंगाई निगेटिव 0.45 फीसदी पर आई थी. हालांकि इस दौरान खाने-पीने की चीजों की महंगाई बढ़ी है. सरकार ने जनवरी की थोक महंगाई दर को संशोधित कर 5.53 फीसदी कर दिया है यानी जनवरी की थोक महंगाई दर 5.25 फीसदी से संशोधित होकर 5.53 फीसदी हो गई है.


खाने-पीने की चीजों की कीमतों में उछाल
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खाने-पीने की चीजों की कीमतों में मार्च में 3.12 फीसदी की तेज बढ़ोतरी हुई जबकि फरवरी में इसमें 2.69 फीसदी की बढ़त हुई थी. इसकी प्रमुख वजह सब्जियों के दाम में उछाल है. सब्जियों की महंगाई दर मार्च में 5.70 फीसदी रही. फलों के मामले में मुद्रास्फीति 7.62 फीसदी रही. वहीं अंडा, मांस और मछली की महंगाई दर 3.12 फीसदी रही.




  • मार्च में मैन्युफैक्चर्ड गुड्स की महंगाई में कुछ गिरावट आई है. मार्च में इसकी महंगाई 2.99 फीसदी रही है जो इससे पिछले महीने फरवरी में 3.66 फीसदी रही थी.

  • महीने दर महीने आधार पर मार्च में प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर भी घटी है. महीने दर महीने आधार पर मार्च में प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर 4.63 फीसदी रही है जो फरवरी में 5 फीसदी रही थी.

  • महीने दर महीने आधार पर मार्च में कोर महंगाई दर घटकर 2.1 फीसदी रही है जो फरवरी में 2.4 फीसदी रही थी.

  • पेट्रोलियम प्रोडेक्ट्स की महंगाई भी मार्च के महीने में घटकर 18.6 फीसदी रही जो फरवरी में 21.02 फीसदी थी.


पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 5 महीने के उच्च स्तर 3.81 फीसदी पर पहुंच गयी. रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति के आधार पर ही मौद्रिक नीति या क्रेडिट पॉलिसी तय करता है. वहीं आरबीआई ने 2017-18 के पहले 6 महीनों में रिटेल महंगाई दर 4.5 फीसदी और दूसरी छमाही में 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.


अप्रैल की क्रेडिट पॉलिसी में रिजर्व बैंक ने महंगाई के उपर जाने का जोखिम का हवाला देते हुए रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा था. हालांकि आरबीआई ने रिवर्स रेपो 0.25 फीसदी कम करके 6 फीसदी कर दिया था. ये लगातार तीसरी क्रेडिट पॉलिसी थी जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था.


आईआईपी में दिखी थी गिरावट
फरवरी में आईआईपी ग्रोथ की रफ्तार घटकर -1.2 फीसदी रही जबकि जनवरी के दौरान देश का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 2.7 फीसदी रहा था.


साल दर साल के आधार पर अप्रैल 2016 और फरवरी 2017 के दौरान आईआईपी ग्रोथ 2.6 फीसदी से घटकर 0.4 फीसदी रही है. महीने दर महीने के आधार पर फरवरी में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 5.3 फीसदी से घटकर 3.3 फीसदी रही. वहीं फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 2.3 फीसदी से घटकर -2 फीसदी हो गई. पॉवर सेक्टर की ग्रोथ 3.9 फीसदी से घटकर मात्र 0.3 फीसदी रह गई.


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