India's Trade With Gulf Countries: पैगम्बर मोहम्मद (Prophet Mohammad) के खिलाफ बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) और नवीन कुमार जिंदल (Naveen Kumar Jindal) की टिप्पणी ने भारत के लिए कूटनीतिक मुश्किलें खड़ी कर दी है. पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ की गई बयानबाजी को लेकर खाड़ी के कई मुस्लिम देशों में भारी नाराजगी देखी जा रही है. पार्टी ने दोनों नेताओं के सस्पेंड भी कर दिया है. लेकिन इन देशों में भारत के उत्पादों का बायकॉट किया जा रहा है. डिपार्टमेंटल स्टोर पर भारतीय उत्पादों के खिलाफ नोटिस लगाया जा रहा है तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई स्टोर्स से उत्पादों को हटाया भी जा रहा है.
क्यों खाड़ी के देश हैं भारत के लिए महत्वपूर्ण
भारत के लिए खाड़ी के देशों के साथ व्यापरिक और द्विपक्षीय रिश्ते बहुत मायने रखते हैं. तो इन देशों में रहने वाले लाखों भारतीयों के हितों से भी जुड़ा है. खाड़ी के देशों के साथ ट्रेड (Trade) और रेमिटेंस ( Remittance) के चलते भी इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है. आंकड़ों के मुताबिक 7 खाड़ी के देशों के साथ 2021-22 में कुल व्यापार 189 अरब डॉलर का रहा है जो भारत के खुल इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का 18.3 फीसदी है. 2017 में पांच खाड़ी के देशों से आने वाला रेमिटेंस कुल रेमिटेंस इंफ्लो (Remittance Inflow) का 54 फीसदी था.
इन देशों से जुड़ा है व्यपारिक हित
संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन मुख्य तौर पर खाड़ी के देश जाने जाते हैं. इराक कa छोड़कर छह देश गल्फ कॉपरेशन कांउसिल (GCC) के सदस्य हैं. 2021-22 का कुल व्यापार गल्फ कॉपरेशन कांउसिल (GCC) के सदस्य देशों के साथ 154.7 अरब डॉलर का रहा था. जो कोरोना पूर्व वर्ष 2019-20 से 28 फीसदी ज्यादा है. संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक भारत के टॉप पांच ट्रेडिंग पार्टनरों में शामिल है. भारत ने गल्फ कॉपरेशन कांउसिल (GCC) देशों को 43.9 अरब डॉलर का निर्यात किया था. वहीं इन देशों के साथ व्यापार घाटा करीब 66.8 अरब डॉलर का है. फरवरी 2022 में भारत और संयुक्त अरब अमीरत ने एफटीए ( Free Trade Agreement) पर हस्ताक्षर किया है. जिसमें 97 फीसदी भारतीय उत्पादों को वहां का बाजार उपलब्ध होगा. तो यूएई के 90 फीसदी उत्पादों के लिए भारतीय बाजार अगले 10 वर्षों तक उपलब्ध हो सकेगा. दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार संधि 1 मई 2022 से लागू हो चुका है.
अरबों डॉलर इन देशों से आता है भारत
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में कुल 34 लाख भारतीय रहते हैं जिनसे 13.8 अरब डॉलर रेमिटेंस ( Remittance) 2017 के डाटा के मुताबिक हासिल हुआ था. सऊदी अरब में 26 लाख भारतीय रहते हैं जिनसे 11.2 अरब डॉलर रेमिटेंस ( Remittance) आया था. कुवैत में रहने वाले 10 लाख भारतीयों से 4.6 अरब डॉलर, कतर में 7.46 लाख लोगों से 4.1 अरब डॉलर, ओमान में रहने वाले 7.81 लाख लोगों से 3.3 अरब डॉलर और बहरीन में रहने वाले 3.26 लाख लोगों से 1.3 अरब डॉलर रेमिटेंस ( Remittance) भारत 2017 में आया था. इन खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीय अपने वतन घरवालों को पैसे भेजते हैं जिसे इनवार्ड रेमिटेंस ( Inward Remittance) कहा जाता है.
अगर सत्ताधारी दल ने अपने दोनों नेताओं के खिलाफ त्वरित कार्रवाई नहीं की होती है तो भारत को इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता था. इन देशों के साथ कूटनीतिक रिश्तों से लेकर व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ सकता था जिसकी बड़ी कीमत भारत को और वहां रहने वाले भारतीयों को उठानी पड़ती जो अपनी आजीविका के लिए इन देशों में गए हुए हैं.
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