भारत में बीते साल यानी 2022 में दूध के दामों में लगातार इजाफा हुआ है. बीते कुछ महीनों में दूध की कीमत जिस रफ्तार से बढ़ी है, उस रफ्तार से पिछले 6-7 सालों में नहीं बढ़ी थी. सिर्फ साल 2022 में दूध की कीमत में 8 रुपये की बढ़ोतरी हुई है.


इसके महंगे होने का यह सिलसिला अभी भी जारी है. इस बीच सवाल ये उठता है कि आखिर पिछले साल दूध का दाम अचानक इतना ज्यादा क्यों बढ़ गया और सरकार को तुरंत क्या कदम उठाना चाहिए?


2022 में दूध की कीमत ने सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया. नीचे के डाटा से इसे समझते हैं.



  • गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने साल 2022 में दिल्ली में अपने अमूल ब्रांड फुल-क्रीम दूध का दाम धीरे-धीरे 58 से 64 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा दिया है. वहीं मदर डेयरी का दाम 5 मार्च से 27 दिसंबर 2022 के बीच 57 रुपये से 66 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा दिया गया. 

  • इससे पहले दूध की कीमतों में 8 रुपये प्रति लीटर की बढ़त साल 2013 के अप्रैल और मई 2014 के बीच हुई थी. लेकिन, तब से लेकर करीब 8 सालों में यान 2022 के फरवरी महीने तक दूध के कीमत में केवल 10 रुपए लीटर की ही बढ़ोतरी हुई थी.  

  • साल 2022 के फरवरी के बाद दूध लगातार महंगा होता चला गया. सिर्फ साल 2022 में मदर डेयरी ने फुल क्रीम की कीमत में 9 रुपए प्रति लीटर का इजाफा किया है तो टोंड के दाम 6 रुपए प्रति लीटर तक बढ़े हैं.  


क्या है कारण 


दूध की कीमत बढ़ने के कई कारण रहे हैं, लेकिन इनमें से सबसे अहम कारण कोरोना महामारी को माना जाता है. भारत में लॉकडाउन के दौरान दूध की सप्लाई बहुत ज्यादा प्रभावित हुई. सारे होटल, शादियां अन्य कार्यक्रम बंद हो जाने के कारण डेयरी वालों की ओर से अप्रैल-जुलाई 2020 के बीच गाय के दूध की खरीद की कीमत 18 से 20 रुपए प्रति लीटर तक कम कर दी गई. जबकि भैंस के दूध की कीमत 30-32 रुपए तक कम हो गया था. जिसका सीधा असर स्किम्ड मिल्क पाउडर और काउ बटर और घी जैसी चीजों पर भी पड़ा. 


मवेशियों पर क्या गुजरा ?



  • लॉकडाउन होने के बाद जब दूध की मांग कम हुई. तब किसानों ने मवेशियों की संख्या कम करनी शुरू कर दी. दूध नहीं बिकने के कारण किसानों के लिए चारे खर्च निकलना मुश्किल हो गया. जिसके कारण उसकी खुराक कम कर दी गई. 

  • इसके अलावा कुछ प्रमुख दूध उत्पादक राज्यों में मवेशियों में बीमारी के मामलों में बढ़त देखी गई है. पशुओं में होने वाला ऐसा ही एक रोग लंपी त्वचा रोग है. बीमार पशु उतनी मात्रा में दूध उत्पादन नहीं कर पा रहे थे जितनी वह आमतौर पर करते हैं. 


बढ़ी चारे की लागत


इंदापुर डेयरी के चेयरमैन दशरथ ने दूध के बढ़ते दामों पर एबीपी न्यूज से कहा, 'दुग्ध उत्पादन में कमी पशु चारे की बढ़ती लागत के कारण आई है. देश के कई हिस्सों में भारी बारिश के कारण हरे चारे की पैदावार कम हुई है. इसके अलावा चारे में मिलाए जाने वाले प्रोटीन और खनिज मिश्रण की कीमतों में भी वृद्धि देखी गई है, जिससे मवेशियों के चारे की लागत बढ़ गई है.'


बीते साल की तुलना में अकेले पशु आहार की लागत में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इसे देखते हुए दुग्ध कंपनियों ने किसानों को दी जाने वाली दूध की कीमतों को भी बढ़ाया है. बीते साल की तुलना में इसमें 8 से 9 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है.


इंदापुर डेयरी एंड डेयरी प्रोडक्ट्स लिमिटेड के चेयरमैन दशरथ माने ने कहा, 'देश भर की डेयरियां दूध संग्रह में 8-10% की कमी दर्ज कर रही हैं. पुणे स्थित इस डायरी ने हाल ही में किसानों को भुगतान की जाने वाली कीमत बढ़ा दी है. फ्रांसीसी डेयरी दिग्गज लैक्टेलिस  प्रभात के सीईओ राजीव मित्रा ने कहा,"दूध की उत्पादन लागत बढ़ गई है. अकेले मवेशियों के चारे की कीमत 25 फीसदी से अधिक बढ़ गई है."


अर्थव्यवस्था खुलने से मांग में अचानक बढ़ोतरी


साल 2021 के आखिर में जैसे ही लॉकडाउन खुला वैसे ही सप्लाई के मुकाबले डिमांड में काफी तेजी आ गई. अब दूध की मांग अचानक घरेलू बाजार तक ही सीमित नहीं रही बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ गई, जिससे सप्लाई बुरी तरह प्रभावित होने लगा.


अंतरराष्ट्रीय बाजार में बटर, घी और ऐन्हाइड्रस मिल्क फैट की मांग बहुत बढ़ गई, जिसने देश में फुल क्रीम दूध के दाम पर काफी दबाव डाला है. 


अब सरकार क्या कर सकती है?


वर्तमान में सरकार के लिए दूध की कमी और फैट के मांग को पूरा करना चिंता का विषय है. आमतौर पर डेयरी फार्म गर्मियों के लिए अभी से ही स्टॉक जमा करने लगती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन, पशुओं की बीमारी और तमाम कारणों के कारण ऐसा नहीं हो पाया. इसलिए सरकार को बटर ऑयल और SMP के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देनी चाहिए. 


बटर फैट के आयात पर फिलहाल 40 प्रतिशत शुल्क लगता है. सरकार एनडीडीबी को दूध की सप्लाई सामान्य होने तक गर्मियों के लिए जरूरी बफर स्टॉक बनाने के लिए फैट और SMP को शून्य शुल्क पर आयात करने की अनुमति दे सकती है. ऐसे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ समय में जब पशुओं को सही पोषण मिलेगा तब दूध की सप्लाई भी सामान्य हो जाएगी.