वित्तीय संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के एक और बैंक को सरकार ने मोरेटोरियम में डालते हुए 25 हजार रुपये की निकासी तय करने समेत उस पर 16 दिसंबर तक के लिए कई तरह की पाबंदिया लगा दी हैं. रिजर्व बैंक ने लगातार वित्तीय गिरावट को देखते हुए मंगलवार को लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया. बैंक के बढ़ते एनपीए और इसे चलाने में आ रही कठिनाइयों के बीच केन्द्र सरकार ने सिंगापुर की सबसे बड़े ऋणदाता डीबीएस बैंक की लोकल यूनिट डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) के साथ विलय करने को कहा है. ऐसा पहली बार है जब किसी भारतीय बैंक को सुरक्षित रखने के लिए उसके विदेशी प्रतिद्वंद्वी पैरेंट बैंक को चुना है.


आइये जानते हैं कि आखिर लक्ष्मी विलास बैंक की ऐसी हालत कैसे हो गई:


1-आरबीआई ने कहा कि पिछले तीन सालों के दौरान लक्ष्मी विलास बैंक को लगातार हो रहे घाटे के चलते इसकी वित्तीय स्थिति काफी कमजोर हुई. आरबीआई ने यह भी कहा कि लगातार हो रहे घाटे से उबरने के लिए बैंक कोई प्लान नहीं बता पाया. किसी रणनीतिक योजना के अभाव में, जमा रकम में कमी और एनपीए में बढ़ोत्तरी के चलते इसका घाटा बढ़ता चला गया. इन घाटों की भरपाई के लिए बैंक पर्याप्त पूंजी जुटाने में नाकामयाब रहा.


2-चेन्नई स्थित लक्ष्मी विलास बैंक की समस्या उस वक्त और बढ़ गई जब पिछले साल अक्टूबर में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के साथ विलय के प्रस्ताव को आरबीआई ने इजाजत नहीं दी. उसके बाद, क्लिक्स कैपिटेड लिमिटेड के साथ विलय का प्रस्ताव भी सिरे नहीं चढ़ पाया. क्लिक्स ने जून में लक्ष्मी विलास बैंक के लिए गैर बाध्यकारी प्रस्ताव सौंपा था, लेकिन आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि संकटग्रस्त बैंक कोई ठोस प्रस्ताव नहीं पेश कर पाया, जिसके बाद बैंक का नियंत्रण अपने हाथों में लेते हुए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करना पड़ा.


3- सितंबर में शेयरहोल्डर्स की ओर से सात डायरेक्टर्स के खिलाफ वोटिंग के बाद रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे प्राइवेट बैंक को चलाने के लिए मीता माखन की अगुआई में तीन सदस्यों वाली कमिटी का गठन किया था।इस साल 17 नवंबर को लक्ष्मी विलास बैंक को मोरेटोरियम में रखा गया है. यह आदेश बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 की धारा 45 के अनुसार 16 दिसंबर 2020 तक प्रभावी रहेगा.


4-इस अनिश्चितता भरे माहौल में लक्ष्मी विलास बैंक के विलय से इसके जमाकर्ताओं, ग्राहकों और कर्मचारियों को स्थिरता और संभावनाएं देगा.


5-डीबीएस बैंक के भारत में 20 ब्रांच हैं और लक्ष्मी विलास बैंक के साथ विलय के बाद देश में उसको पांव पसारने का बड़ा अवसर मिलेगा. लक्ष्मी विलास बैंक के देशभर में 550 से ज्यादा ब्रांच हैं और 900 से ज्यादा एटीएम हैं.