ब्याज दरों की संभावनाओं को देखते हुए कुछ स्मार्ट निवेशक म्यूचुअल फंड के फ्लोटर फंड में निवेश बढ़ाने लगे हैं. लिहाजा इस कैटेगरी का एयूएम दोगुना हो गया है. मई 2020 में इसका एयूएम 32,481 करोड़ रुपये का था लेकिन जनवरी 2021 में बढ़ कर 62,638 करोड़ रुपये का हो गया. जनवरी में म्यूचुअल फंड निवेशकों ने 33,408 करोड़ रुपये निकाल लिए लेकिन फ्लोटर फंड के निवेशकों ने 3,128 करोड़ रुपये का निवेश किया.


फ्लोटर फंड क्या हैं?


फ्लोटर फंड अपने एसेट का कम से कम 65 फीसदी फ्लोटिंग रेट वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. ये फंड बढ़ते ब्याज दरों का फायदा लेते हैं क्योंकि ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स की कूपन दरें इंटररेस्ट के ऊपर भागने के साथ ही ऊपर की ओर जाती हैं. चूंकि भारत में फ्लोटिंग रेट इंस्ट्रूमेंट्स का अभाव है इसलिए ये फंड फिक्स्ड-कूपन बॉन्ड में ज्यादा निवेश करते हैं. इंटरेस्ट रेट स्वैप जैसे डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं ताकि फिक्स्ड रेट पर मिलने वाले रिटर्न को फ्लोटिंग रेट पर कन्वर्ट कर सकें.


क्या आपको निवेश करना चाहिए?


विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा समय में ब्याज दरें नीची हैं इसलिए अब आने वाला वक्त ऊंची ब्याज दरों का है. इसलिए पिछले 6-8 महीने से फ्लोटर रेट म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए आकर्षक हो गए हैं. हाल में सरकार की ओर से ज्यादा कर्ज लेने के ऐलान से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के आसार बढ़ गए हैं. इसलिए फ्लोटर फंड में निवेश बढ़ता हुआ दिख रहा है.


फ्लोटर फंड AAA रेटिंग वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. इस कैटेगरी में एक साल का रिटर्न 7.8 फीसदी रहा है. जबकि दो साल का रिटर्न 8.46 और और तीन साल का रिटर्न 8.19 फीसदी रहा है. मौजूदा परिस्थिति में छोटी अवधि में ये फंड अच्छा रिटर्न दे रहे हैं.इसलिए फ्लोटर फंड में निवेश के विकल्प को चुन सकते हैं.


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