Gold vs Diamond: सोना और हीरा दोनों की ही कीमत ज्यादा होती है. आमतौर पर विज्ञापनों में डायमंड को बेहद आकर्षक और रोमांटिक अंदाज में पेश किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि निवेश के लिए कौन सबसे बेहतर है? द मिंट ने इस बारे में विशेषज्ञों से बात की और जानना चाहा कि दो दशक से अधिक समय से डायमंड की कीमत हाई लेवल पर है, ऐसे में क्या इनमें निवेश करना समझदारी है ? या क्रिप्टोकरेंसी की ही तरह इनमें इंवेस्टमेंट फायदे का सौदा हो सकता है ?


लैब में बने डायमंड का मार्केट पर असर


एडलवाइस म्यूचुअल फंड्स (Edelweiss Mutual Funds) की सीईओ राधिका गुप्ता (Radhika Gupta) ने इस बारे में कहा, आमतौर पर किसी चीज की कीमत कितनी होगी यह उसकी डिमांड और सप्लाई पर डिपेंड करती है. कई चीजें ऐसी हैं, जो 20 साल से अधिक भी हो जाए तो भी कोई रिटर्न नहीं देती है.


अगर डायमंड की बात करें तो इसके मार्केट पर लैब में तैयार हो रहे डायमंड का नेगेटिव इफेक्ट है. लैब में बन रहे डायमंड का असर न केवल नैचुरल डायमंड के वैल्यू पर पड़ा है, बल्कि मार्केट में डायमंड की डिमांड कम हुई है. इससे पता चलता है कि टेक्नोलॉजी में एडवांस होने से भी कई बार या तो कमोडिटी की कीमत स्थिर बनी रहती है या इसमें गिरावट आती है. 


वह आगे कहती हैं, वहीं अगर इक्विटी की बात करें तो ये अलग हैं क्योंकि एक ग्रो करती इकोनॉमी में कोई फर्म इनोवेशन, प्रोडक्टिविटी जैसी चीजों पर निर्भर करती हैं. इक्विटी को इस तरह से डिजाइन ही किया जाता है कि वह इंवेस्टर्स को लंबे समय तक रिटर्न दे. ऐसे में लॉन्ग टर्म के लिए इक्विटी की ही तरह एसेट्स पर निवेश करना बेहतर है, जिनकी वैल्यू वक्त के साथ ग्रो करे. 


डायमंड की सेलिंग वैल्यू लिमिटेड


मार्केट के अच्छे जानकार और कैपिटल माइंड (Capital Mind) के फाउंडर दीपक शेनॉय (Deepak Shenoy) ने इस बारे में मिंंट से कहा , डायमंड की सेलिंग वैल्यू लिमिटेड होती है, जबकि सोने में निवेश बेहतर है क्योंकि यह महंगाई से भी बचाव का एक साधन है. 


न्यूयॉर्क टाइम्स में कुछ बेहद ही महंगे डायमंड्स को लेकर एक आर्टिकल पब्लिश किया गया, जिसमें बताया गया कि कुछ लोगों ने डायमंड खरीदा और उसे दोबारा बेचने की कोशिश की, लेकिन नहीं कर पाए. यहां तक कि दुकानें भी उन्हें वापस लेने के लिए तैयार नहीं हुईं. अगर भारत के ज्वैलर्स की बात करें, तो ये डायमंड के बदले आपको पैसे तो नहीं देते बल्कि आप इसे किसी और ज्वेलरी के साथ एक्सचेंज करा सकते हैं. 


कुछ ही सप्लायर्स का डायमंड मार्केट पर कंट्रोल


सहजमनी (SahajMoney) के चीफ इंवेस्टमेंट एडवाइजर अभिषेक कुमार (Abhishek Kumar) कहते हैं, पहले के जमाने में भी लोग डायमंड के मुकाबले सोने को बेहतर मानते थे. सोने को अगर मेल्ट भी किया जाता है, तब भी वह सोना ही रहता है. जबकि डायमंड के साथ ऐसा नहीं है. ग्लैमर के लिए डायमंड ठीक है, लेकिन इंवेस्टमेंट के लिए नहीं.


इसके साथ ही डायमंड मार्केट को कुछ ही सप्लायर कंट्रोल करते हैं जैसे कि डी बीयर्स डायमंड की सप्लाई से इसकी कीमत को नियंत्रित करता है. अब मार्केट में आर्टिफिशियल डायमंड की कोई कमी नहीं इसलिए इनकी सप्लाई कम ही नहीं होती और यह पता लगाना भी मुश्किल होता है कि कौन या रियल और कौन आर्टिफिशियल डायमंड है. 


यानी कि कुल मिलाकर यह बात तो साफ है कि निवेश के मामले में गोल्ड डायमंड से कहीं बेहतर है.   


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