काम की बात: NPS अकाउंट खोलना क्यों है फायदेमंद? जानिए इससे जुड़ी अहम बातें
हर एनपीएस सब्सक्राइवर को एक 12 डिजिट का यूनिक नंबर दिया जाता है जिसे परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर यानी PRAN कहा जाता है.
नेशनल पेंशन स्कीम सरकार समर्थित पेंशन स्कीम है. इसकी शुरुआत 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए हुई थी. लेकिन 2009 में इसके सबके लिए खोल दिया गया. कोई भी व्यक्ति अपने कामकाजी जिंदगी के दौरान इसमें कंट्रीब्यूट कर सकता है. रिटायरमेंट के बाद से इसका एक हिस्सा निकाल सकता है बाकी से एक निश्चित अंतराल पर एक निश्चित रकम हासिल कर सकता है.
18 से 60 साल के भारतीय नागरिक कर सकते हैं इसमें निवेश
18 से 60 साल तक का कोई भी व्यक्ति NPS को सब्सक्राइव कर सकता है. लेकिन उसे केवाईसी (KYC) की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. आप किसी भी प्वाइंट ऑफ प्रजेंस यानी POP में एनपीएस अकाउंट खोल सकते हैं. ज्यादातर बैंक, चाहे वे सार्वजनिक क्षेत्र के हों या निजी क्षेत्र के पीओपी के तौर पर काम करते हैं. इसके अलावा कुछ वित्तीय संस्थान पीओपी के तौर पर काम करते हैं. पीओपी की अधिकृत शाखाएं पीओपी-एसपी (POP-SP) यानी सर्विस प्रोवाइडर कहलाती हैं. आप पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी PFRDA की वेबसाइट http://www.npscra.nsdl.co.in/pop-sp.php में आप इन तक पहुंच सकते हैं.
ये दस्तावेज हैं जरूरी
एनपीएस में कंट्रीब्यूशन के लिए आपको रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने के साथ ही आइडेंटिटी, एड्रेस और डेथ ऑफ बर्थ सर्टिफिकेट देना पड़ता है. हर एनपीएस सब्सक्राइवर को एक 12 डिजिट का यूनिक नंबर दिया जाता है जिसे परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर यानी PRAN कहा जाता है. NPS में दो तरह के अकाउंट होते हैं. टियर 1 और टियर 2. टियर 1 अनिवार्य और टियर 2 स्वैच्छिक अकाउंट होता है. जब तक आप रिटायर नहीं होते टियर 1 से पैसा नहीं निकाल सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद भी पैसा निकालने पर कुछ पाबंदियां हैं. टियर 2 से पूरा पैसा निकाल सकते हैं. आप एक से ज्यादा एनपीएस अकाउंट नहीं खोल सकते. एनपीएस में सालाना कम से कम 6000 रुपये जमा कर सकते हैं. इस पर 80 सी और 80सीसीई के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है.
क्यों मुसीबत में है लक्ष्मी विलास बैंक? संकट से उबारने का क्या है प्लान?
Data Usage: कंजम्पशन का बदल रहा पैटर्न, डेटा यूज में रूरल इंडिया शहरी इंडिया से आगे निकला