Grand Onion Challenge : नवंबर-दिसंबर में क्यों महंगा हो जाता है प्याज, आप भी दें सकते है आइडिया
सरकार ने पहली बार प्याज से जुड़े Grand Challenge की घोषणा की है. प्याज की कमी से निपटने के लिए प्राइमरी प्रोसेसिंग, स्टोरेज और मूल्य निर्धारण की तकनीक विकसित की जाएगी.
Green Onion Benefits : देश में हर साल नवंबर-दिसंबर माह में प्याज के दाम बढ़ने लगते है. सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए एक बड़े चैलेंज की घोषणा की है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Consumer Affairs Ministry) ने तकनीकी विश्वविद्यालयों सहित 100 से अधिक विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा जानकारी मांगी है. इस पत्र में छात्रों, शोधकर्ताओं और फैकल्टी मेंबर्स को आमंत्रित किया है. प्याज की आपूर्ति में कमी और कीमतों में उछाल सरकार की चिंता का प्रमुख कारण है. कई बार सरकार को कीमतों में कमी लाने के लिए प्याज का आयात तक करना पड़ता है.
क्यों माँगा चैलेंज
सरकार ने पहली बार प्याज (Onions) से जुड़े बड़े चैलेंज (Grand Challenge) की घोषणा की गई है. इस चैलेंज में प्याज की कमी की समस्या से निपटने के लिए प्राइमरी प्रोसेसिंग, स्टोरेज और मूल्य निर्धारण की तकनीक विकसित की जाएगी. आपको बात दें कई बार भंडारण करने से करीब 30 से 40 % प्याज की फसल नष्ट हो जाती है. भविष्य में यह नुकसान ना हो, इसलिए यह चैलेंज लाया गया है.
खपत से अधिक उत्पादन
भारत में प्याज का वार्षिक उत्पादन लगभग 156 लाख टन की औसत खपत के मुकाबले लगभग 260 लाख टन रहा है. फिर भी प्याज की कमी पड़ जाती है. वजन में भारी कमी, सड़ जाने और फंगस के कारण काफी नुकसान होता है, जिससे प्याज की कमी पड़ जाती है.
3 सीजन में उगाया जाता है प्याज
देश में प्याज 3 सीजनो में उगाया जाता है. मार्च और मई के दौरान काटी जाने वाली रबी की फसल भारत में प्याज का मुख्य आधार है, इससे वार्षिक उत्पादन का 65% हिस्सा आता है. अधिक आपूर्ति के कारण इन महीनों के दौरान कीमत कम होती है.
हर साल 11,000 करोड़ रु का नुकसान
मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालयों के साथ साझा किए दस्तावेज की माने तो, प्याज के भंडारण प्रणालियों से लगभग 11,000 करोड़ रु का सालाना नुकसान देखा जा रहा है. अब भंडारण के समाधान खोजने है, जिससे किसानों की कमाई में भी सुधार हो सके.
तीन चरणों में चैलेंज
इस चैलेंज के 3 चरण होंगे. सरकार हर स्तर पर टीम्स को फंड मुहैया कराएगी और विजेताओं को पुरस्कार राशि भी दी जाएगी.
- सबसे पहले आइडिया टू प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट स्टेज में 40 प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा. इनमें से हर को 75,000 रु की वित्तीय सहायता दी जाएगी. वर्किंग प्रोटोटाइप 3-4 महीने के भीतर तैयार होगा.
- दूसरे चरण में सरकार 20 प्रस्तावों का चयन करेगी. 6 से 12 महीने के अंदर अपना समाधान तैयार करने के लिए प्रत्येक को 5 लाख रु देगी.
- इसमें दूसरे चरण के सभी प्रस्तावों को यूजर एजेंसी द्वारा निर्धारित स्थान पर तैयार उत्पाद या प्रक्रिया को तैनात करने का मौका मिलेगा. इन सभी टीमों को उत्पाद की मार्केटिंग की अनुमति दी जाएगी.