नई दिल्लीः मंगलवार का दिन शेयर बाजारों के लिए भारी साबित हुआ और एक झटके में आज 1274 अंकों की गिरावट के चलते निवेशकों के 5.4 लाख करोड़ रुपये स्टॉक मार्केट में स्वाहा हो गए. बाजार में गिरावट पिछले गुरुवार 1 फरवरी से शुरू हुई थी जब लोकसभा में बजट पेश हुआ था. उस दिन से शुरू हुई गिरावट अभी तक जारी है और तबसे लेकर आज तक बाजार में 2500 अंकों से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है.
बजट के दिन से शुरू हुई गिरावट
बजट के दिन 1 फरवरी को बाजार में 450 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और इसके अगले दिन शेयर बाजार में 800 अंकों से ज्यादा की कमजोरी देखी गई. कुल मिलाकर बाजार 2015 के बाद से सबसे ज्यादा कमजोरी एक दिन के कारोबार में देख चुका है जब एक ही दिन में 1200 अंकों से ज्यादा की गिरावट घरेलू शेयर बाजार में देखी गई. आज बाजार में हर चढ़ने वाले 2 शेयरों के सामने 5 शेयर गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय शेयर बाजार में इतनी तेज और भारी गिरावट के पीछे बड़ी वजह क्या है?
अमेरिका में ब्याज दरें महंगी हुई
अमेरिकी बाजार में ब्याज दरें बढ़ने के चलते निवेशकों ने शेयरों में निवेश कम किया है जिसके चलते अमेरिकी बाजार गिरे हैं और इसी का सीधा असर भारतीय बाजार पर भी आया है. ब्याज दरें बढ़ने से कंपनियों की लागत बढ़ेगी साथ ही कंपनियों के मार्जिन और मुनाफे पर दबाव मुमकिन है. वहीं बॉन्ड यील्ड बढ़ने से सॉवरेन बॉन्ड ज्यादा आकर्षक लगने लगे हैं और इसमें निवेशकों ने शेयरों की बजाए निवेश करना शुरू किया है जिससे दुनियाभर के बाजार गिर रहे हैं. ब्याज दरें बढ़ने से शेयर महंगे और बॉन्ड आकर्षक लगते हैं.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
इस बजट में वित्त मंत्री ने 1 साल से ज्यादा समय के बाद बेचे गए शेयरों के मुनाफे पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाया है जिसके चलते शेयर बाजारों में नीचे का रुझान बनने लगा था. हालांकि कल वित्त सचिव हसमुख अढिया ने कहा कि भारतीय बाजारों में गिरावट के पीछे एलटीसीजी नहीं बल्कि ग्लोबल बाजारों में आ रही गिरावट मुख्य वजह है.
बढ़ी बॉन्ड यील्ड से डर गए बाजार
अमेरिका में बॉन्ड यील्ड 4 साल के उच्चतम स्तर 2.88 फीसदी पर पहुंच गई है, वहीं जर्मन बॉन्ड में भी उछाल दिखा है, जबकि भारत में भी 10 साल के बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 7.6 फीसदी पर आ गई है जो कि जुलाई 2017 में 6.3 फीसदी थी. बॉन्ड यील्ड, यानि बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न और बॉन्ड यील्ड बढ़ने का मतलब बॉन्ड से ज्यादा कमाई. लिहाजा निवेशकों में शेयरों की बजाए बॉन्ड में निवेश करने का चलन बढ़ रहा है.
कल है आरबीआई पॉलिसी
भारतीय बाजारों में कल आने वाली आरबीआई पॉलिसी के चलते भी बाजार में निगेटिव सेंटीमेंट है. एमपीसी की बैठक आज से शुरू हो चुकी है और कल आरबीआई की मौद्रिक नीति का एलान होगा. हालांकि इस बार भी नीतिगत दरों के कम होने का कोई संकेत नहीं है क्योंकि बजट में वित्तीय घाटा 3.2 फीसदी के अनुमान के मुकाबले 3.5 फीसदी रहने का अनुमान दिया गया है और खुदरा महंगाई दर दिसंबर में 17 महीनों के उच्च स्तर तक चली गई है.
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