Inflation Data: नवंबर महीने में खुदरा महंगाई दर घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 फीसदी पर आ गया है. राहत की बात ये है कि महंगाई दर का आंकड़ा आरबीआई के टोलरेंस लेवल के अपर बैंड 6 फीसदी से नीचे आ चुका है. खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा आरबीआई के मॉनिटरी पॉलिसी के घोषणा के 4 दिनों बाद 12 दिसंबर को घोषित किया गया है. जबकि 8 दिसंबर को आरबीआई रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर चुकी थी. पर सवाल उठता है कि क्या खुदरा महंगाई दर में गिरावट के बाद ब्याज दरें बढ़ने के सिलसिले पर ब्रेक लगेगा? क्या ईएमआई होने पर यहां से विराम लगेगा? जानकारों का मानना है कि ब्याज दरें तो फिलहाल नहीं घटेंगी लेकिन रेपे रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला यही थम सकता है. 


ब्याज दरें बढ़ने पर ब्रेक 


एसबीआई की पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार वृंदा जागीरदार के मुताबिक, महंगाई के घटने का ट्रेड नजर आ रहा है. महंगाई को लेकर चिंताएं कम होंगी. अगर महंगाई कम होगी तो आरबीआई आने वाले मॉनिटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगी.  वृंदा जागीरदार के मुताबिक भले ही खुदरा महंगाई दर में कमी आई हो लेकिन ब्याज दरों में कमी आने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि दुनिया के कई देश महंगाई से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि भले ही घरेलू महंगाई से हमें राहत मिल गई हो लेकिन इंपोर्टेड महंगाई का खतरा अभी भी बना हुआ है. इसलिए इस पर नजर बनाये रखने की जरूरत है. साथ ही अगले वर्ष 2023 में जून में मानसून पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा. 


महंगाई का डर है बना हुआ 


महंगाई को लेकर चिंताएं अभी खत्म नहीं हुई है. संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार महंगाई पर नजर बनाये हुए है और इसे कम करने के लिए सभी कदम सरकार उठाएगी. साफ है सरकार भी मानती है कि पूरी तरह से महंगाई से राहत मिलने में अभी वक्त लगेगा. नवंबर में खुदरा महंगाई दर में कमी आई हो लेकिन दिसंबर और जनवरी महीने के जब खुदरा महंगाई दर के आंकड़े घोषित होंगे तो उसमें बढ़ोतरी देखी जा सकती है. अभी केवल फूड इंफ्लेशन से राहत मिली है लेकिन कोर इंफ्लेशन ज्यादा बना हुआ है. अमेरिका यूरोप में जब तक महंगाई में कमी नहीं आती है सस्ते कर्ज की उम्मीद करना बेमानी होगी. 


महंगी ईएमआई से अभी राहत नहीं!
 
मतलब साफ है कि अगर आप खुदरा महंगाई दर में गिरावट के बाद ब्याज दरें घटने की उम्मीद कर रहे हैं तो उस उम्मीद को ठंडे बस्ते में डाल दीजिए. क्योंकि आपकी ईएमआई फिलहाल सस्ती नहीं होने वाली है. लेकिन ये जरूर है कि ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला यहां पर थम सकता है. यानि आपकी ईएमआई अगले कई महीनों तक जस की तस बनी रह सकती है. आरबीआई फरवरी में पेश होने वाले मॉनिटरी पॉलिसी का एलान करते हुए रेपो रेट के दरों में कोई बदलाव नहीं करे. 


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