Food Inflation: इस मानसून में बेहतर रही खरीफ फसल की बुआई, पर नहीं टला है अल नीनो का खतरा, खाद्य महंगाई की चुनौती बरकरार!
Kharif Crops: कृषि कल्याण मंत्रालय के आंकड़े बता रहे हैं कि अब तक खरीफ फसल की बुआई बीते वर्ष के मुकाबले बेहतर रही है.
Food Inflation Fear: जुलाई का महीना खत्म हो रहा है. और राहत की बात ये है कि देर से ही सही लेकिन देश के कई राज्यों में मानसून की बारिश देखने को मिली है. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल छोड़ दें तो ज्यादातर राज्यों में जुलाई महीने में सामान्य से ज्यादा बारिश देखने को मिला है. जुलाई महीने में मानसून बारिश के चलते खरीफ फसलों की बुआई में तेज इजाफा देखने को मिला है.
बेहतर रही है खरीफ फसलों की बुआई
मौजूदा खरीज सीजन में दलहन को छोड़ दें तो बाकी फसलों की बुआई में इजाफा देखने को मिला है. सबसे महत्वपूर्ण धान यानि चावल की बुआई बीते वर्ष के मुकाबले ज्यादा क्षेत्र में इस वर्ष हुई है. धान की बुआई 2023 में 233.37 लाख हेक्येटर में हुई जबकि 2022 में 233.25 लाख हेक्टेयर में हुई थी. सामान्य से ज्यादा बारिश होने के चलते किसानों को राहत मिली ही है लेकिन सबसे ज्यादा राहत की सांस केंद्र की मोदी सरकार ने ली है जिसे अगले साल 2024 में महाचुनाव का सामना करना है और हाल के दिनों में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में तेज उछाल के चलते महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है.
बेहतर मानसून की बारिश जरुरी
लेकिन चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है. जून के मध्य से लेकर अगस्त के मध्य के दौरान ज्यादा खरीफ फसलों की बुआई होती है. अगस्त और सितंबर में होने वाली बारिश खरीफ फसल के लिए बहुत मायने रखती है क्योंकि इसी बारिश से खरीफ फसल के पैदावार को बढ़ाने में मदद मिली है. तो इस महीने होने वाली बारिश से नदी नहर तालाब और पानी के जलाशयों को भरने में मदद मिलती है जमीन के नीचे पानी का लेवल भी ऊपर बढ़ता है. इससे ठंड के दौरान रबी फसलों के सीजन में रबी फसल को नमी प्रदान करती है.
नहीं टला है अल नीनो का खतरा
अब तक तो खरीफ फसलों की बुआई के आंकड़े बेहतर नजर आ रहे हैं लेकिन इस वर्ष की शुरुआत से ही जिस अल नीनो का खतरा बताया जा रहा है वो अभी टला नहीं है. ज्यादातर मौसम को लेकर भविष्यवाणी करने वाली एजेंसियां इस वर्ष ठंड के सीजन के दौरान भी अल नीनो के रहने की आशंका जता रहे हैं. इसलिए अगस्त सितंबर के दौरान मानसून कमजोर पड़ा तो इसके असर रबी फसलों पर भी पड़ सकता है.
घट हुआ चावल गेहूं का स्टॉक
सरकार के भंडार में एक जुलाई तक 71.1 मिलियन टन चावल और गेहूं का स्टॉक था जो पांच साल में सबसे कम है. अन नीनो और खरीफ और रबी फसलों की पैदावार में कोई भी कमी से सरकार की मुसीबत बढ़ सकती है. क्योंकि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. यही वजह है कि गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी सरकार के गेहूं के एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंध को नहीं हटाया और अब तो गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर भी बैन लगा दिया गया है. चीनी के एक्सपोर्ट पर तो पहले से बैन लगा हुआ था.
परेशान कर रही अरहर दाल की कीमत
अरहर दाल की कीमतों में पहले से ही आग लगी है. खुदरा बाजार में 180 से 200 रुपये प्रति किलो में अरहर दाल मिल रहा है. तो इस खरीफ सीजन में अरहर दाल की बुआई कम हुई है. 2022 में 37.50 लाख हेक्टेयर में अरहर दाल की बुआई हुई थी जो 2023 में घटकर 31.51 लाख हेक्टेयर रह गई है. जबकि सामान्य एरिया 46.29 लाख हेक्टेयर है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बेहतर मानसून की बारिश का फायदा सोयाबीन, मूंगफली और तिल के फसल को होगा और उत्पादन ज्यादा होने की उम्मीद है.
खाद्य महंगाई में तेज उछाल
टमाटर समेत दूसरी सब्जियों की कीमतों में उछाल सरकार के परेशान कर रही है. जून महीने में खुदरा महंगाई दर के आकड़ों ने फिर से यूटर्न ले लिया है. जून 2023 में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेज उछाल के चलते खुदरा महंगाई दर 4.81 फीसदी पर जा पहुंची जो मई में 4.31 फीसदी रही थी. खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है. जून में खाद्य महंगाई दर बढ़कर 4.49 फीसदी पर जा पहुंची है जो मई 2023 में 2.96 फीसदी रही थी. ऐसे में महंगाई में कमी लाने के लिए बेहतर मानसून का होना बेहद जरुरी है.
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