One Nation One Income Tax: क्या GST के बाद देश में लागू होगा वन नेशन वन इनकम टैक्स? वित्त मंत्री सीतारमण ने दिया ये जवाब
One Nation One Tax: इनडायरेक्ट टैक्स के मोर्चे पर वन नेशन वन टैक्स लागू होने के बाद अब डायरेक्ट टैक्स के मोर्चे पर भी वन नेशन वन टैक्स की मांग की जा रही है.
One Nation One Income Tax: अप्रत्यक्ष कर यानि इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) लगाने के लिए एक जुलाई 2017 से देश में वन नेशनल वन टैक्स (One Nation One Tax) के सिद्धांत के आधार पर जीएसटी (GST) को लागू किया गया. गुड्स और सर्विसेज पर अब केवल एक ही टैक्स जीएसटी वसूला जाता है. तो क्या अब वन नेशनल वन इनकम टैक्स (One Nation One Income Tax) देश में लागू होने वाला है? दरअसल इस सवाल की गूंज संसद में सुनाई दी है. ये सवाल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में पूछा गया. जिसके जवाब में वित्त मंत्री ने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा लेकिन उन्होंने सदन को बताया कि वे इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार हैं.
टैक्सपेयर्स में कंफ्यूजन
6 फरवरी 2024 को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बीजेडी की सांसद सुलता देव ने सवाल किया कि देश में वन नेशन वन जीएसटी का प्रचलन है तो फिर वन नेशन वन इनकम टैक्स को क्यों नहीं लागू किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में न्यू इनकम टैक्स और ओल्ड इनकम टैक्स रिजीम दोनों ही प्रचलन में है जिसे लेकर टैक्सपेयर्स में बहुत कंफ्यूजन है. देश में कुल 3 से 54 करोड़ टैक्सपेयर्स जो इनकम टैक्स देते हैं उनकी उलझनें बढ़ गई है. उन्होंने वित्त मंत्री से सवाल किया कि इसका सरलीकरण कब किया जाएगा. न्यू इनकम टैक्स रिजीम को लागू हुए तीन साल हो चुके हैं ऐसे में क्या वन नेशन वन इनकम टैक्स को लागू किया जाएगा?
चर्चा को तैयार वित्त मंत्री
वित्त मंत्री सीतारमण ने इस प्रश्न का सीधे तौर पर तो कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, ये सवाल पूछा जा रहा कि इनडायरेक्ट टैक्स के लिए भी वन नेशन वन टैक्स आ सकता है तो फिर डायरेक्ट टैक्स के लिए क्यों नहीं? वित्त मंत्री ने कहा, ये एक बड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसपर मैं चर्चा के लिए तैयार हूं.
2020-21 में आया न्यू टैक्स रिजीम
एक फरवरी 2022 को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने न्यू इनकम टैक्स रिजीम लाने की घोषणा की जिसे वित्त वर्ष 2020-21 से लागू किया गया. नई इनकम टैक्स को जब लागू किया गया तब सेविंग या निवेश पर डिडक्शन या टैक्स छूट का लाभ नहीं मिल रहा था. होम लोन या मेडिक्लेम पर भी टैक्स छूट का प्रावधान नहीं था. 50,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी लाभ टैक्सपेयर्स को नहीं दिया जा रहा था. जिसके चलते टैक्सपेयर्स को न्यू टैक्स रिजीम के तहत ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ रहा था. लेकिन न्यू रिजीम को आकर्षक बनाने के लिए एक फरवरी 2023 को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने न्यू इनकम टैक्स रिजीम में बड़े बदलाव किए. न्यू इनकम टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये तक के इनकम वाले टैक्सपेयर्स को टैक्स नहीं देना होता है जबकि ओल्ड टैक्स रिजीम में ये लिमिट 5 लाख रुपये है. सैलरीड क्लास और पेंशनर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ न्यू रिजीम में शामिल किया गया. अब न्यू इनकम टैक्स रिजीम डिफॉल्ट टैक्स रिजीम बन चुका है.
बचत को नहीं देती है बढ़ावा!
दरअसल ओल्ड टैक्स रिजीम में कई प्रकार के टैक्स छूट और डिडक्शंस के चलते बेहद जटिल है जिसे टैक्सपेयर्स के लिए समझना कठिन होता है और वे कई बार गलत जानकारियां देते हैं जिसका बाद उन्हें इनकम टैक्स विभाग का चक्कर काटना पड़ता है तो कई बार कानूनी विवाद में भी फंस जाते हैं. जबकि न्यू इनकम टैक्स रिजीम में ये प्रावधान नहीं होने के कारण टैक्सपेयर्स डिडक्शन हासिल करने के लिए गलत जानकारियां नहीं दे सकता है. हालांकि पुराना टैक्स रिजीम टैक्सपेयर्स को टैक्स बचाने के लिए निवेश बचत के लिए प्रेरित करता है जो न्यू इनकम टैक्स रिजीम में नहीं है.
पहली भी उठती रही है मांग
वन नेशनल वन इनकम टैक्स का मुद्दा संसद में उठा है लेकिन लंबे समय से इसे लेकर चर्चा की जा रही है. प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष ने बिबेक देबरॉय ( Bibek Debroy) ने पिछले दिनों कहा था कि टैक्स रिफॉर्म्स के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इनकम टैक्स में सभी प्रकार के छूटों (Tax Exemption) का खात्मा होना बेहद जरुरी है. उन्होंने कहा कि टैक्स छूट से जीवन जटिल होता जाता है, अनुपालन पर खर्च बढ़ने से लेकर कानूनी विवाद भी बढ़ता है. हालांकि रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया है पुरानी या ओल्ड इनकम टैक्स रिजीम को फेज आउट करने की सरकार की कोई योजना नहीं है.
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