क्या आरबीआई फिर घटाएगा ब्याज दर, कल से शुरू हो रही मीटिंग में होगा फैसला
आरबीआई पर बढ़ती महंगाई का दबाव होगा. खुदरा मंहगाई दर छह फीसदी से ज्यादा हो चुकी है और जो आरबीआई के दायरे से बाहर है
कोरोना वायरस से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का दारोमदार संभाले आरबीआई को अगली मौद्रिक समीक्षा में काफी सधे हुए कदम उठाने की जरूरत पड़ेगी. मंगलवार ( 4 अगस्त) से आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक होने वाली है. यह बैठक ऐसे वक्त हो रही जब एक ओर मंहगाई बढ़ रही है और दूसरी ओर उद्योग की जगत की ओर से लोन री-स्ट्रक्चरिंग की मांग जोर-शोर से उठ रही है.
बढ़ती महंगाई का आरबीआई पर दबाव
खुदरा मंहगाई दर छह फीसदी से ज्यादा हो चुकी है और जो आरबीआई के दायरे से बाहर है. ऐसे में कई एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि आरबीआई रेपो रेट कटौती के मामले में अपना कदम रोक सकता है. फरवरी के बाद से रेपो रेट में 1.5 फीसदी की कटौती हो चुकी है. बैंकों ने भी नए कर्ज पर 0.72 फीसदी तक ब्याज घटाया है. इसलिए इस बात की संभावना कम लग रही है की रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करेगा. हालांकि कुछ बैंकों और विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक इस बार भी रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती कर सकता है.
खाने-पीने की चीजों ने बढ़ाई महंगाई
दरअसल मांस, मछली, खाद्यान्न और दालों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर में इजाफा हो गया है और यह स्थिति आरबीआई को रेपो रेट में कटौती से रोक सकती है. जून में उपभोक्ता मुल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी पर पहुंच गई है. सरकार ने खुदरा महंगाई दर को चार फीसदी ( दो फीसदी ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है.
रेपो रेट में कटौती की भले ही उम्मीद कम है लेकिन इस बीच उद्योग जगत ने बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने की मांग को लेकर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. अब मंगलवार (4 अगस्त) से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक में इस स्थिति का आकल किया जाएगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी क्या कदम उठाती है.