RBI MPC: क्या शक्तिकांत दास को तीसरी बार मिलेगा एक्सटेंशन! जानें खुद आरबीआई गर्वनर ने क्या दिया जवाब
RBI Governor: शक्तिकांत दास दिसंबर 2018 से आरबीआई गवर्नर पद पर विराजामान हैं. और ये कयास लगाए जा रहे है कि सरकार उनके कार्यकाल को बढ़ा सकती है.
Shaktikanta Das: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shkatikanta Das) का कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को खत्म होने जा रहा है. गर्वनर दास ने अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी मॉनिटरी पॉलिसी का 6 दिसंबर 2024 को एलान किया है. लेकिन इसके साथ ही ये कयास लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार उनके कार्यकाल को एक्सटेंशन देगी या नहीं. आरबीआई गवर्नर खुद इस मामले में कुछ भी खुलकर कहने को तैयार नहीं है.
कार्यकाल बढ़ाने पर ये बोले गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक के मॉनिटरी पॉलिसी के एलान के बाद आयोजित हुए प्रेस कॉंफ्रेंस में शक्तिकांत दास से उनके कार्यकाल को बढ़ाये जाने को लेकर पत्रकारों ने सवाल पूछा तो, उन्होंने जवाब दिया, 'मैं आपको कोई आपको हेडलाइन नहीं देना वाला हूं.' जाहिर है आरबीआई गवर्नर भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. रायटर्स ने दो सरकार सूत्रों के हवाले से पिछले दिनों अपने रिपोर्ट में कहा था कि आरबीआई गवर्नर के चयन के लिए किसी भी सेलेक्शन कमिटी का गठन नहीं किया गया है और इस समय सरकार के पास दूसरा कोई नाम विचार के लिए सामने नहीं आया है. ऐसे में एक साल के लिए शक्तिकांत दास के कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है. हालांकि सरकार की ओर से औपचारिक एलान होना बाकी है.
10 दिसंबर को खत्म हो रहा कार्यकाल
अगले हफ्ते मंगलवार 10 दिसंबर, 2024 को शक्तिकांत दास का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. दिसंहर 2018 में शक्तिकांत दास पहली बार आरबीआई गवर्नर बने थे. साल 2021 में उन्हें सरकार ने फिर तीन सालों के लिए एक्सटेंशन दिया था. पिछले छह सालों से शक्तिकांत दास आरबीआई गवर्नर बने हुए हैं. और सरकार अगर लगातार तीसरी बार उनके कार्यकाल को बढ़ाने का एलान करती है तो साल 1960 के बाद शक्तिकांत दास सबसे लंबे समय तक गवर्नर पद पर रहने वाले लोगों में शामिल हो जायेंगे. इससे पहले बेनेगल रामा राव 7.5 सालों,1949 से लेकर 1957 तक आरबीआई गवर्नर रहे थे.
शानदार रहा शक्तिकांत दास का कार्यकाल
शक्तिकांत दास के गवर्नर पद पर रहते हुए कोरोनाकाल में भारत ने इस संकट का जोरदार तरीके से सामना किया. आरबीआई ने कोरोना (Covid-19) महामारी के दौरान प्रभावित सेक्टर्स को सपोर्ट किया था, नगदी उपलब्ध कराई गई और साथ में ब्याज दरों में भी भारी कमी आ गई थी. लेकिन अब आरबीआई गवर्नर के सामने महंगाई में कमी लाने के साथ ग्रोथ को रफ्तार देने की चुनौती है.
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