सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को एक बार फिर से कम कर दिया है. विंडफॉल टैक्स में यह लगातार तीसरी कटौती है और एक महीने के भीतर यह तीसरी बार किया गया बदलाव है.
इतना कम हो गया विंडफॉल टैक्स
सीबीआईसी यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाइरेक्ट टैक्सेज ने शुक्रवार देर शाम एक बयान में बताया कि घरेलू स्तर पर उत्पादित हो रहे कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को कम कर दिया गया है. इस कटौती के बाद अब डोमेस्टिक क्रूड ऑयल पर 5,200 रुपये प्रति टन की दर से विंडफॉल टैक्स लगेगा. इससे पहले विंडफॉल टैक्स 5,700 रुपये प्रति टन की दर से लग रहा था. नई दरें आज यानी 1 जून 2024 से प्रभावी हो गई हैं.
डीजल-पेट्रोल-एटीएफ में नहीं हुआ बदलाव
वहीं दूसरी ओर सरकार ने डीजल, पेट्रोल और विमानन ईंधन यानी एटीएफ पर एक्सपोर्ट ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं किया है. इस टैक्स को एक बार फिर से शून्य पर बनाए रखने का फैसला लिया है. इसका मतलब हुआ कि घरेलू रिफाइनरों को डीजल, पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर मिल रही छूट आगे भी बरकरार रहने वाली है. इससे उन घरेलू कंपनियों को फायदा होता रहेगा, जो रिफाइनरी चलाती हैं और अधिक मुनाफे के लिए डीजल-पेट्रोल व एटीएफ जैसे रिफाइंड प्रोडक्ट को देश के बाहर के बाजारों में बेचती हैं.
एक महीने में तीसरी बार कटौती
इससे पहले सरकार ने 15 मई को हुई समीक्षा में भी कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को कम करने का फैसला लिया था. मई महीने की दूसरी समीक्षा में डोमेस्टिकली प्रोड्यूस्ड क्रूड ऑयल पर विंडफॉल टैक्स की दरें 8,400 रुपये प्रति टन से घटाकर 5,700 रुपये प्रति टन कर दिया था. उससे पहले 1 मई को भी सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को कम किया था. उस समीक्षा में विंडफॉल टैक्स को 9,600 रुपये प्रति टन से घटाकर 8,400 रुपये प्रति टन कर दिया गया था.
मई से कम होने लगा विंडफॉल टैक्स
मई महीने से पहले विंडफॉल टैक्स को लगातार बढ़ाया जा रहा था. इस वित्त वर्ष की पहली समीक्षा (1 अप्रैल 2024) में विंडफॉल टैक्स को 4,900 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 6,800 रुपये प्रति टन कर दिया गया था. उसके बाद वित्त वर्ष की दूसरी समीक्षा (15 अप्रैल 2024) में विंडफॉल टैक्स को 6,800 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 9,600 रुपये प्रति टन कर दिया गया था.
हर पखवाड़े में की जाती है समीक्षा
डोमेस्टिकली प्रोड्यूस्ड कच्चे तेल पर भारत में सबसे पहली बार जुलाई 2022 में विंडफॉल टैक्स लगाया गया था. इसी तरह डीजल, पेट्रोल और विमानन ईंधन के निर्यात पर भी ड्यूटी लगाई गई थी. कई प्राइवेट रिफाइनर कंपनियां ज्यादा मार्जिन कमाने के लिए डीजल, पेट्रोल और एटीएफ का निर्यात करती हैं. पिछले कुछ समय के दौरान कच्चे तेल के दाम में वैश्विक स्तर पर भारी उथल-पुथल आई है. ऐसे में कंपनियां ज्यादा मुनाफे के लिए घरेलू बाजारों में बिक्री न कर निर्यात पर फोकस कर रही थीं. सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स और डीजल, पेट्रोल व एटीएफ पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला लिया था. इसकी समीक्षा हर पखवाड़े में यानी हर महीने में 2 बार की जाती है.
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