Moonlighting Cheating: आईटी कंपनी विप्रो (Wipro) के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी (Rishad Premji) ने आईटी सेक्टर में मूनलाइटिंग प्रैक्टिस (Moonlighting Practice) को धोखाधड़ी करार दिया है. नैसकॉम के पूर्व चेयरमैन ने ट्विटर पर अपने ये विचार व्यक्त किए हैं. दरअसल टेक इंडस्ट्री में मूनलाइटिंग यानि एक नौकरी में रहते हुए दूसरी जगह नौकरी करने का ट्रेंड बढ़ा है खासतौर से जब से कोरोना ने दस्तक दिया है. अभी भी कई आईटी प्रोफेशनल्स वर्क फॉर होम कर रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम के दौरान मूनलाइटिंग का ट्रेंड बढ़ा है. ऋषद प्रेमजी ने सेशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर ट्वीट किया कि टेक इंडस्ट्री में इन दिनों कर्मचारियों मूनलाइटिंग का चर्चा में है. बिलकुल स्पष्ट और सरल तरीके से कहना चाहता हूं, ये पूरी तरह धोखाधड़ी है.
2,563.6 करोड़ रुपये रहा कंपनी का नेट प्रॉफिट
दरअसल टेक इंडस्ट्री में सेकंड जॉब का कॉन्सेप्ट तेजी से उभर रहा है, जिसके चलते कर्मचारियों के परफॉर्मेंस पर असर पड़ा है. हाल ही में विप्रो ने जून तिमाही के लिए मिड और सीनियर लेवल के अपने कर्मचारियों के वैरिएबल पे को होल्ड कर लिया और भुगतान नहीं किया है. कंपनी ने इस तिमाही ने ऑपरेटिंग मार्जिन में दवाब से चलते ये फैसला लिया है. वहीं C-Suite लेवल के मैनेजर्स को कोई वैरिएबल पे नहीं देने का फैसला लिया गया है. वहीं फ्रेशर्स से लेकर टीम लीडर्स को 70 फीसदी के बराबर वैरिएबल पे दिया जाएगा. प्रतिभा में कमी, मार्जिन घटने और टेक क्षेत्र में निवेश घटने की वजह से कंपनी ने इस बार वैरिएबल का भुगतान नहीं किया. चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में विप्रो का मार्जिन21 फीसदी घट गया है. इस दौरान कंपनी का नेट प्रॉफिट 2,563.6 करोड़ रुपये रहा है.
क्या है मूनलाइटिंग?
यह कॉन्सेप्ट कोरोनाकाल के दौरान वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ने के बाद बढ़ा है. मूनलाइटिंग चीटिंग का मतलब है कि रेगुलर जॉब के साथ चोरी-छुपे दूसरी जगह भी नौकरी करते रहना. आईटी सेक्टर वर्क फ्रॉम होम चल रहा है. ऐसे में कर्मचारी एक कंपनी के अलावा दूसरी जगह काम करके अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं.
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