नई दिल्लीः सरकार ने चालू कारोबारी साल के दौरान आर्थिक विकास दर आधा फीसदी घटकर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, ये 3 सालों में सबसे कम है. हालांकि इस अनुमान में नोटबंदी का असर शामिल नहीं है. 28 फरवरी को आने वाले आंकड़ों में पता चलेगा का वास्तव मे नोटबंदी से पूरे विकास दर पर क्या असर पड़ा.


खऱीफ फसलों को लेकर किसानों की मेहनत ने पूरे आर्थिक विकास के अनुमानों को एक संतोषजनक स्तर पर पहुंचाने में मदद की, फिर भी अनुमान बीते साल से कम ही रहे, इसकी वजह थी मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ विभिन्न सेवा क्षेत्रों में विकास की धीमी रफ्तार, इन सब के बावजूद विकास के आंकड़ों की तस्वीर अधूरी है, क्योंकि सांख्यिकी मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों के अक्टूबर तक के ही आंकड़ों को शामिल किया है, जबकि नोटबंदी की शुरुआत 8 नवंबर को हुई, सरकार कह रही है कि अगले महीने जब तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसम्बर तक के आंकड़े आएंगे तब विकास दर के अनुमानों में फेरबदल होगा.


सरकार के मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत कह रहे हैं कि अभी ये तय नहीं कि नोटबंदी का असर कितने समय तक रहेगा, हो सकता है कि इसका असर ज्यादा लंबे समय तक देखने को मिले, ये भी मुमकिन है कि कैशलेस की व्यवस्था अपनाने से विकास दर मापने के कई पैमानों में बड़े पैमाने पर बदलाव हो.




  • फिलहाल, अभी तक की स्थिति ये है कि चालू कारोबारी साल यानी 2016-17 के दौरान विकास दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है कि जबकि 2015-16 में ये दर 7.6 फीसदी रही थी,

  • खेती बाड़ी की विकास दर 1.2 फीसदी के बजाए 4.1 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की विकास दर 9.3 फीसदी से घटकर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है

  • सर्विसेज सेक्टर की बात करें तो कंस्ट्रक्शन से लेकर होटल, ट्रांसपोर्ट, फाइनेंशियल सेक्टर, रियल इस्टेट सभी में विकास की रफ्तार धीमी रहने का अंदेशा है,

  • चूंकि विकास दर में गिरावट हो रही है, इसीलिए प्रति व्यक्ति आय में 6.2 फीसदी के बजाए 5.6 फीसदी की दर से बढ़ोतरी का अनुमान है.


उधर, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास कह रहे हैं कि आर्थिक समीक्षा और बजट में नोटबंदी के असर पर चर्चा होगी. उसी हिसाब से बजट की दशा-दिशा भी तय होगी.


अब आम बजट के पहले सबको इंतजार इस बात का है कि क्या नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में कमी की जाती है या नहीं, वैसे दिसम्बर की शुरुआत में रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने सबको हैरान करते हुए नीतिगत ब्याज दर में यथावत रखा गया था, लेकिन अब अर्थशास्त्रियों और रिचर्च एजेंसियों का अनुमान है कि नीतिगत ब्याज दर में कम से कम 0.5 फीसदी की कटौती देखने को मिलेगी जिसके बाद बैंक आम लोगों और उद्योग के लिए ब्याज दर में और भी कमी कर सकते हैं.