Women CXOs: भारत की टॉप कंपनियों में नगण्य है महिला एग्जीक्यूटिव्स की संख्या
Women's Day 2024: महिला दिवस से पहले आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय वाहन कंपनियों के टॉप एग्जीक्यूटिव पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी न के बराबर है...
कॉरपोरेट सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी लगातार भले ही बढ़ रही हो, लेकिन टॉप पदों पर उनकी उपस्थिति अभी भी बहुत कम है. यह हाल कई सेक्टरों का है. एक हालिया स्टडी ऑटो सेक्टर में बड़ी कंपनियों के टॉप पदों पर महिलाओं की लगभग न के बराबर हिस्सेदारी की बात बताती है.
हिस्सेदारी के साथ सैलरी भी कम
ईटी की एक रिपोर्ट में डिलॉयट की एक हालिया स्टडी के हवाले से भारत की शीर्ष वाहन कंपनियों में महिला एग्जीक्यूटिव्स की स्थिति के बारे में बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 11 बड़ी वाहन कंपनियों में महिला सीएक्सओ की संख्या बेहद कम है और उनकी हिस्सेदारी 3 फीसदी से कम है. मामला और खराब हो जाता है, जब पता चलता है कि न सिर्फ हिस्सेदारी नगण्य है, बल्कि समकक्ष पुरुष कर्मचारियों की तुलना में उन्हें पैसे भी कम मिलते हैं. स्टडी की मानें तो टॉप ऑटो कंपनियों में महिला सीएक्सओ की सैलरी पुरुषों की तुलना में 11 फीसदी कम है.
2 दिन बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब 2 दिन बाद महिला दिवस आने वाला है. हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. टॉप ऑटो कंपनियों में महिला एक्जीक्सूटिव्स की नाम मात्र की हिस्सेदारी इस फैक्ट के बाद भी है कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई प्रयास किए गए हैं. स्टडी में जिन वाहन कंपनियों को शामिल किया गया है, उनमें मारुति सुजुकी से लेकर टाटा मोटर्स जैसे तमाम बड़े नाम शामिल हैं और वे सभी मिलकर भारतीय वाहन बाजार में 85 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं.
टॉप 500 कंपनियों में ऐसा हाल
कॉरपोरेट सेक्टर में महिलाओं की नाम मात्र की भागीदारी का पता एक अन्य स्टडी से भी चलता है. एनहांसिंग वीमेन लीडरशिप इन इंडिया इंक नाम से किए गए रिसर्च के अनुसार, फॉर्च्यून 500 इंडिया लिस्ट में शामिल कंपनियों में से सिर्फ 1.6 फीसदी ही ऐसी कंपनियां हैं, जिन्हें किसी महिला के द्वारा लीड किया जा रहा है. नेक्स्ट 500 लिस्ट की कंपनियों के मामले में महिलाओं की ये हिस्सेदारी महज 5 फीसदी रह जाती है.
इन कारणों से कम है हिस्सेदारी
फॉर्च्यून इंडिया और एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के इस जॉइंट रिसर्च के अनुसार, 30-40 फीसदी से ज्यादा महिलाएं मिडल मैनेजमेंट में पहुंचते-पहुंचते नौकरी छोड़ देती हैं. इसके लिए शादी व बच्चे जैसे कारण जिम्मेदार हैं. यही कारण है कॉरपोरेट सेक्टर में लीडरशिप के पदों पर महिलाओं की भागीदारी काफी कम रह जाती है.
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