लखनऊ: एक हफ्ते के दौरान दो कॉरपोरेट महिला कर्मचारी अपनी जान गंवा चुकी हैं. आज एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें लखनऊ के एचडीएफसी बैंक के परिसर में एक महिला एंप्लाई की कुर्सी से गिरकर मौत हो गई हालांकि इसके पीछे टदफ्तर में बढ़ते वर्क प्रेशर को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
Bank की हिला कर्मचारी की मृत्यु के पीछे का कारण बताया गया है कि वो एचडीएफसी बैंक के परिसर में कुर्सी से नीचे गिर गई थीं. न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके साथ के एंप्लाइज ऐसे आरोप लगा रहे हैं कि इस महिला कर्मचारी की मौत काम के अत्याधिक दबाव के चलते हुई है,
लखनऊ के किस इलाके में है बैंक का ऑफिस
सदफ फातिमा एचडीएफसी बैंक के अतिरिक्त डिप्टी वाइस-प्रेसिडेंट के तौर पर कार्य कर रही थीं. इस बैंक की शाखा लखनऊ के गोमती नगर के विभूति खंड शाखा में है जहां ये घटना हुई है. बैंक में उनके साथी कर्मचारियों ने जानकारी दी कि वो ऑफिस परिसर में ही कुर्सी से गिर गईं थी और उन्हें तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया. हालांकि उनकी जान नहीं बच पाई और डॉक्टरों ने उनके मृत घोषित कर दिया गया और इसके बाद बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
पिछले हफ्ते पुणे के अर्न्स्ट एंड यंग में हुई थी महिला कर्मचारी की मौत
पिछले हफ्ते पुणे से एक मामला सामने आया जिसमें अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया की 26 वर्षीय चार्टेड अकाउंटेंट एना सेबेस्टियन पेराइल (Anna Sebastin Perayil) की मौत हो गई. उसकी मौत के बाद उनकी मां ने आरोप लगाया कि एना के ऊपर काम का काफी दबाव था. उनकी मां ने जानकारी दी कि आखिरकार वह इसी तनाव से जूझते हुए 20 जुलाई को अपने कमरे में बेहोश हो गई और हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई. Ernst & Young (EY) की महिला कर्मचारी एना सेबेस्टियन ने अपनी मौत से पहले कई बार काम के ज्यादा प्रेशर का जिक्र किया था.
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया X पर किया पोस्ट
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस घटना के बारे में सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि...
"लखनऊ में काम के दबाव और तनाव के कारण एचडीएफ़सी की एक महिलाकर्मी की ऑफिस में ही, कुर्सी से गिरकर, मृत्यु का समाचार बेहद चिंतनीय है।लखनऊ में काम के दबाव और तनाव के कारण एचडीएफ़सी की एक महिलाकर्मी की ऑफिस में ही, कुर्सी से गिरकर, मृत्यु का समाचार बेहद चिंतनीय है।
अखिलेश यादव ने ये भी लिखा है कि ऐसे समाचार देश में वर्तमान अर्थव्यवस्था के दबाव के प्रतीक हैं। इस संदर्भ में सभी कंपनियों और सरकारी विभागों तक को गंभीरता से सोचना होगा। ये देश के मानव संसाधन की अपूरणीय हानि है। ऐसे आकस्मिक निधन काम के हालातों को सवालों के घेरे में ले आते हैं। किसी भी देश की असली तरक़्क़ी का पैमाना सेवा या उत्पाद के आँकड़े का बढ़ना नहीं होता बल्कि ये होता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से कितना स्वतंत्र, स्वस्थ व प्रसन्न है।
अखिलेश यादव ने ये भी लिखा है कि ऐसे समाचार देश में वर्तमान अर्थव्यवस्था के दबाव के प्रतीक हैं। इस संदर्भ में सभी कंपनियों और सरकारी विभागों तक को गंभीरता से सोचना होगा। ये देश के मानव संसाधन की अपूरणीय हानि है। ऐसे आकस्मिक निधन काम के हालातों को सवालों के घेरे में ले आते हैं। किसी भी देश की असली तरक़्क़ी का पैमाना सेवा या उत्पाद के आँकड़े का बढ़ना नहीं होता बल्कि ये होता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से कितना स्वतंत्र, स्वस्थ व प्रसन्न है।
भाजपा सरकार की नाकाम आर्थिक नीतियों के कारण कंपनियों का काम-कारोबार इतना घट गया है कि अपने व्यापार-व्यवसाय को बचाने के लिए वो कम लोगों से कई गुना काम करवाती हैं। ऐसी आकस्मिक मृत्यु के लिए जितनी भाजपा सरकार ज़िम्मेदार है उतने ही जनमानस को मानसिक रूप से हतोत्साहित करनेवाले भाजपाइयों के बयान भी।
इस समस्या से उबरने के लिए कंपनियों और सरकारी विभागों को ‘तत्काल सुधार’ के लिए सक्रिय और सार्थक प्रयास करने चाहिए।"
वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर सवाल उठ रहे
इस घटना के बाद एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि देश में कर्मचारियों के लिए क्या वाकई वर्क लाइफ बैलेंस बिठाना मुश्किल हो रहा है और ये इस हद तक बढ़ गया है कि एंप्लाइज की जान तक जा रही हैं.
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