Rural Job Scheme: अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक बुरी खबर आई है. सरकार द्वारा चलाई जाने वाली प्रमुख ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत रोजगार की चाह रखने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में मनरेगा के तहत काम की मांग में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में आने वाले दिनों में औद्योगिक सुधार की उम्मीद को लेकर बड़ा झटका लगा है और देश में रोजगार को लेकर चिंता बढ़ गई है.
मनरेगा के लिए नहीं हैं फंड्स की कमी- सरकार
इस मामले पर एक अधिकारी ने ET से बात करते हुए जानकारी दी है कि वित्त वर्ष 2024 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के लिए तय किए गए बजट में से 93 फीसदी हिस्सा पहले ही खर्च किया जा चुका है. ऐसे में आने वाले दिनों में इस वित्त वर्ष में इस स्कीम को आगे चलाने के लिए सरकार के पास 'पर्याप्त' फंड की कमी पड़ सकती है और उसे आगे इस स्कीम में और बजट बढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है. बता दें कि वित्त वर्ष 2024 में सरकार ने पहले ही मनरेगा के तहत 60,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था. मनरेगा फंड्स को लेकर दी गई अहम जानकारी में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि इस योजना में पैसे की कोई कमी नहीं है और पश्चिम बंगाल के मनरेगा फंड्स को पैसों की कमी के कारण नहीं बल्कि केंद्र के दिशा निर्देशों का पालन न करने के कारण किया गया है.
अर्थव्यवस्था के लिए हैं बुरा संकेत
एक्सपर्ट्स के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में ग्रामीण इलाके में मनरेगा की बढ़ती मांग अर्थव्यवस्था के लिए एक बुरा संकेत है. गांव में मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या में इजाफा इस बात की ओर इशारा करता है कि शहर में मजदूरों की मांग कम हुई है. आमतौर पर ग्रामीण मजदूर शहरों की फैक्ट्रियों में काम करते हैं. ऐसे में यह आंकड़े इस बात का संकेत दे रहे हैं पिछले छह महीने में फैक्ट्रियों में काम सुस्त पड़ा है जो अर्थव्यवस्था के लिहाज से अच्छा संकेत नहीं है. इसके साथ ही इस साल मानसून में सामान्य से कम हुई बारिश ने कृषि क्षेत्र में भी मजदूरों की मांग को कम कर दिया है. इस वित्त वर्ष के जुलाई तक देश के औद्योगिक उत्पादन में 4.8 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है, लेकिन यह पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी तक कम है.
मनरेगा के तहत मिला इतने लोगों को रोजगार
मनरेगा के तहत अप्रैल से सितंबर के बीच रोजगार की मांग करने वालों की संख्या में 9 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है. वहीं कुल 19.2 करोड़ लोगों ने इस योजना के तहत काम किया है जो पिछले साल की तुलना में 4.6 फीसदी ज्यादा है. पहली तिमाही की बात करें तो 15 करोड़ से अधिक लोगों ने मनरेगा के तहत काम मांगा था जो पिछले साल की तुलना में 8.5 फीसदी ज्यादा रहा है.
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