नई दिल्ली:  अगर आप भी निजी कंपनी में काम करते हैं और वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए है. घर से काम करने वाले लोगों को मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2020-21 में ज़्यादा इनकम टैक्स चुकाना पड़ सकता है.


दरअसल, वर्क फ्रॉम होम के चलते निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को कई मदों में टैक्स डिडक्शन का लाभ नहीं मिल पाएगा. इसके चलते कर्मचारियों को 10 से 60% तक ज़्यादा टैक्स चुकाना पड़ सकता है.


वर्क फ्रॉम होम के चलते प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोगों पर साल के अंत में ज्यादा इनकम टैक्स की मार पड़ सकती है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कर्मचारियों को प्राइवेट कंपनियां उनकी सीटीसी में जो अलग-अलग तरह के अलाउंस देती हैं वह वर्क फ्रॉम होम के चलते नहीं मिल पाएंगे. इसके चलते साल के अंत में कर्मचारियों को इनकम टैक्स में मिलने वाली छूट कम हो जाएगी. इस वजह से उन्हें अतिरिक्त इनकम टैक्स चुकाना पड़ेगा.


इस बारे में चार्टर्ड अकाउंटेंट डी के मिश्रा का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम के चलते बहुत से कर्मचारी LTA, मील कूपन, HRA आदि का क्लेम नहीं कर पाएंगे. इस वजह से साल के अंत में उनकी टैक्सेबल इनकम ज़्यादा होगी.


वर्क फ्रॉम होम के चलते जहां बहुत से कर्मचारियों का खर्च कुछ कम हुआ है तो वहीं कुछ कर्मचारियों की तनख्वाह भी कम हुई हैं. दूसरी तरफ कुछ अलाउंस न मिलने के चलते उनपर दोहरी मार भी पड़ सकती है.


इस पूरे मामले को एक उदाहरण से भी समझा जा सकता है. मान लीजिए, किसी कर्मचारी की सालाना CTC 10 लाख रुपये है. यह CTC विभिन्न मदों में बांटी जाती है- बेसिक सैलरी, HRA, कनवेंस अलाउंस, LTA आदि. अगर ये कर्मचारी अब शहर में अपना किराए का मकान छोड़कर अपने पैतृक घर से काम कर रहा है तो उसे HRA अलाउंस नहीं मिलेगा. इसी तरह वह अब अगर घूमने नहीं जाता है तो LTA अलाउंस भी नहीं ले पाएगा.


कई कंपनियां अपने कर्मचारियों की CTC को रिस्ट्रक्चर करने पर भी विचार कर रही हैं. लेकिन, जानकारों का मानना है कि CTC रिस्ट्रकचरिंग से भी कर्मचारियों को टैक्स के मामले में ज़्यादा राहत नहीं मिलेगी.


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