(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अब फैक्टरियों-दफ्तरों में करना पड़ सकता है 12 घंटे काम, कानून में बदलाव की कोशिश कर रही सरकार
एक्सपर्ट्स का कहना है कि काम के घंटे को साढ़े दस घंटे से बढ़ा कर 12 घंटे करना कामगारों पर नकारात्मक असर डालेगा. काम के घंटे बढ़ा कर 12 घंटे करने का मतलब कंपनियां इतनी देर तक कामगारों को फैक्टरियों में रख सकती हैं.
नए लेबर कोड के तहत सरकार अब काम के घंटे आठ घंटे से बढ़ा कर 12 घंटे कर सकती है. ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड वर्किंग कंडीशन्स कोड यानी OSH के ड्राफ्ट नियमों में पहले काम के घंटे 10.30 घंटे थे. हालांकि सप्ताह में काम के घंटे 48 ही रखे गए हैं. ड्राफ्ट रूल में कहा गया है कि काम के बीच आराम के घंटों को मिलाकर वर्किंग आवर इस तरह रखा जाएगा कि यह 12 घंटे से ज्यादा न हो. सितंबर में जो लेबर कोड पास किया गया था उसमें वर्किंग आवर आठ ही सीमित किया गया था.
कंपनियों को दो ही शिफ्ट रखने का मिल सकता है मौका
एक्सपर्ट्स का कहना है कि काम के घंटे को साढ़े दस घंटे से बढ़ा कर 12 घंटे करना कामगारों पर नकारात्मक असर डालेगा. काम के घंटे बढ़ा कर 12 घंटे करने का मतलब कंपनियां इतनी देर तक कामगारों को फैक्टरियों में रख सकती हैं. साढ़े दस घंटे के बाद के डेढ़ घंटे अतिरिक्त लोगों की फैक्टरियों का दफ्तरों में रहने का क्या मकसद है यह पता नहीं. अगर मेट्रो शहरों में 12 घंटे काम लिया जाता है तो आने जाने का समय मिला कर यह चौदह घंटे हो सकता है. इससे कंपनियां तीन शिफ्ट की जगह दो शिफ्ट में ही काम कराने को प्रेरित हो सकती हैं. इससे भी रोजगार की संख्या में कमी आएगी.
प्रवासी मजदूरों के लिए यात्रा भत्ते का इंतजाम लेकिन नियम पेचीदा
ड्राफ्ट नियम में प्रवासी कामगारों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा के लिए भत्ते की भी व्यवस्था लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि उसने पिछले एक साल में संबंधित प्रतिष्ठान में 180 दिन काम किया हो. यह नियम भी वर्करों के खिलाफ जा सकता है क्योंकि वे लंबे वक्त के कॉन्ट्रैक्ट में काम नहीं करते. 45 दिनों के लिए पब्लिक डोमेन में रखे गए ड्राफ्ट नियमो के मुताबिक लेबर कांट्रेक्टर के लिए पूरे देश में एक लाइसेंस का नियम लागू किया जा सकता है.साथ ही 500 से ज्यादा की संख्या वाले सामान्य कार्यस्थलों और 250 से ज्यादा खतरनाक स्थितियों वाले कार्यस्थलों में सेफ्टी कमेटियां बनाने का भी प्रावधान है. इससे भी छोटे प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कामगार घाटे में रहेंगे.
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