World Bank ने 50 करोड़ डॉलर के प्रोग्राम को दी मंजूरी, भारत के MSME सेक्टर को मिलेगा बूस्ट
विश्व बैंक ने एमएसएमई सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए भारत सरकार की पहल को समर्थन उपलब्ध कराने के लिए 50 करोड़ डॉलर की राशि के प्रोग्राम को मंजूरी दी है. एमएसएमई सेक्टर कोरोना संकट से बहुत प्रभावित हुआ है.
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वाशिंगटनः विश्व बैंक ने एमएसएमई सेक्टर को उबारने के लिए भारत सरकार की पहल को समर्थन उपलब्ध कराने के लिए 50 करोड़ डॉलर की राशि के प्रोग्राम को मंजूरी दी है. यह सेक्टर कोविड -19 संकट से भारी प्रभावित हुआ है. इस प्रोग्राम से 555000 एमएसएमई के प्रदर्शन में सुधार का लक्ष्य रखा गया है.
50 करोड़ डॉलर का राइजिंग एंड एक्सेलेरेटिंग माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज (MSME) परफॉर्मेंस (RAMP) प्रोग्राम इस सेक्टर में विश्व बैंक का दूसरा इंटरवेंशन है. इससे पहले 75 करोड़ के एमएसएमई इमरजेंसी रिस्पांस प्रोग्राम जुलाई 2020 में मंजूरी दी गई थी. यह राशि कोविड-19 महामारी से बुरी तरह से प्रभावित लाखों एमएसएमई की ऋण आवश्यकताओं और लिक्विडिटी की कमी को ध्यान में रखते हुए मंजूरी दी गई थी.
पिछले साल की तुलना में ज्यादा सहायता
अब तक 50 लाख फर्मों को सरकारी कार्यक्रम से पैसा मिला है. आज स्वीकृत कार्यक्रम के साथ एमएसएमई क्षेत्र की उत्पादकता और वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार के लिए विश्व बैंक का वित्तपोषण पिछले वर्ष की तुलना में 1.25 अरब डॉलर ज्यादा है. इस सहायता से भारत सरकार के एमएसएमई सेक्टर में उत्पादकता और वित्तपोषण बढ़ाने के प्रयासों बल मिलेगा.
देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ एमएसएमई सेक्टर
एमएसएमई सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत का योगदान देता है. भारत में लगभग 5.8 करोड़ एमएसएमई में से 40 प्रतिशत से अधिक के पास फाइनेंस के फॉर्मल सोर्स तक पहुंच नहीं है.
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा, "एमएसएमई सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था की क्रिटिकल रीढ़ है, जो कोविड -19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है." "RAMP प्रोग्राम एमएसएमई क्षेत्र में दीर्घकालिक उत्पादकता और नौकरियों के सृजन की नींव रखते हुए महामारी से पहले के उत्पादन और रोजगार के स्तर पर लौटने के फर्मों के प्रयासों को सपोर्ट करेगा."
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